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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, देश की शान हैं आदिवासी

नयी दिल्ली, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आदिवासी समुदाय को देश की शान करार देते हुए कहा है कि आदिवासी क्षेत्रों की पहचान खनन से नहीं, बल्कि प्रतिभाशाली व्यक्तियों से होनी चाहिए।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के आदिवासी छात्र-छात्राओं से उपराष्ट्रपति निवास पर भेंट करते हुए कहा कि आदिवासी हमारे देश की शान हैं। उन्होंने कहा कि आज का भारत बदल गया है और यही कारण है कि भारत के तीन सर्वोच्च पद- नंबर एक पर एक ट्राइबल महिला हैं, नंबर दो पर किसान पुत्र है और नंबर तीन पर अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं। दुनिया में क्रांति भारत की वजह से आ रही है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, “मैं आपको यही कहूंगा कि आप इस देश के मालिक हैं। आप जमीन से जितना जुड़े हुए हैं, और कोई नहीं जुड़ा हुआ है।” उन्होंने कहा कि जनजाति की ताकत को यदि समझना है, इसके महत्व को समझना है, इसकी प्रतिभा को समझना है तो राष्ट्रपति भवन चले जाइए। जनजाति की महिला श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति हैं।

श्री धनखड़ ने कहा, “भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाता है जो हमें प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि आज भारत अमृत काल में है और दुनिया हमारी प्रगति को देखकर आश्चर्यचकित है।”

छात्रों को भविष्य के भारत का कर्णधार बताते हुए श्री धनखड़ ने कहा, “सदा स्वस्थ रहें, स्वस्थ सोचे, बिल्कुल नहीं डरें। कई बार हम लोग गांव से आते हैं तो हमें डर लग जाता है शहर की चमक दमक से। मत डरिए, क्योंकि शहरों में भी ताकत ग्रामीण की ही है, ट्राइबल की ही है।”

उपराष्ट्रपति निवास पर भेंट के बाद सभी छात्र-छात्राओं ने संसद का भ्रमण किया। इनमें से 140 छात्र छ्त्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकुमा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर और राजनंदगांव से हैं जबकि 60 छात्र मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से हैं।