अहमदाबाद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैयानायडू ने आज शुरूआती शिक्षा को छात्रों की मातृभाषा में ही देने पर जोर दिया। नायडू ने आज यहां इग्नू और बाबा साहब आंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में भाषा की यात्रा विषयक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में यह बात कही।
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उन्होंने कहा कि भारत में भाषाओं को खासा विकास हुआ है। एक अध्ययन के अनुसार भारत 780 भाषाओं के साथ पापुआ न्यूगिनी ;839 के बाद दुनिया में इस मामले में दूसरा सबसे बडा देश है।
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नायडू ने हालांकि इस बात पर चिंता जतायी कि देश में छात्रों का भाषायी कौशल पढाई पूरी करने के बावजूद अपेक्षित रूप से बेहतर नहीं हो पा रहा। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि कम से कम शुरूआती शिक्षा छात्रों को उनकी मातृभाषा में दी जाये। उन्होंने कहा कि इसके अभाव में कई बच्चे विशेष रूप से आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पढाई बीच में ही छोड देते हैं।
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उन्होंने कहा कि देशी भाषा को नीची नजर से नहीं देखा जाना चाहिए। अंग्रेज एक सौ साल के शासन के बाद चले गये पर यहां अंग्रेजियत छोड गये।
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