मां का साया अगर बच्चों पर ना हो तो आज बच्चों की पढाई कभी पूरी नहीं होती। विद्यालय की शिक्षिका से ज्यादा मां के द्वारा दी गई शिक्षिका का अधिक महत्त्व है लेकिन आज कामकाजी महिला बच्चों पर उतना ध्यान नहीं दे पाती जितना उनको देना चाहिए। अगर बच्चों की अच्छी परवरिश करना चाहते है तो कुछ समय के लिए काम से छुट्टी ले ले और अपने बच्चे की परवरिश पर ध्यान दे क्योंकि काम तो बाद में भी किया जा सकता है लेकिन शुरूआती परवरिश बाद में नहीं हो सकता है। मां की समझदारी का महत्व प्यार और दुलार बच्चों के लिए जितना जरुरी है उतना ही उनकी पढाई की नींव को बच्च्पन से मजबूत करना बहुत जरुरी है। ताकि आगे चल कर आपके बच्चे को कोई परेशानी ना हो। शोधकर्ताओं का कहना है कि विद्यार्थी ज्यादातर होनहार मां के कारण ही होते है।
किशोर उम्र दे अधिक ध्यान किशोर उम्र में मां को अधिक ध्यान देना चाहिए क्योंकि बच्चे अधिकतर इस उम्र में ही बिगड़ते है जिसके कारण वे पढ़ाई में पिछड़ सकते है। असंभव को संभव बनाती है मां मां बच्चे की हर असंभव काम को संभव बनाने में बहुत मदद करती है, चाहिए प्रॉब्लम पढाई को लेकर हो, विद्यालय से जुडी हो या दोस्तों को लेकर हो इन सभी परेशानी को केवन मां ही हल करती है और हर बच्चा अपनी परेशानी मां को ही बताता है इसलिए बच्चों पर अधिक ध्यान दे और उसे ये भरोसा दिलाये की आप उसके साथ है। देर रात जागना स्कूल का प्रोजेक्ट हो या परीक्षा की तैयारी एक मां ही है जो बच्चों के साथ देर रात जाग कर बच्चों का साथ देती है। अनपढ़ मां भी किसी से कम नहीं जरुरी नहीं है कि हर मां पढ़ी-लिखी हो, हमारा देश में कई मां पढ़ी नहीं होती है लेकिन वे भी अपने बच्चे पर उतना ही ध्यान देती है जितना एक पढ़ी-लिखी मां करती है। मां अपने बच्चे के लिए और उसके पढाई के लिए कोई कसर नहीं छोड़ती है।