‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान को और आगे बढ़ाकर लाना है बदलाव : प्रधानमंत्री मोदी

नयी दिल्ली,  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि ‘मां के नाम एक पेड़’ लगाने जैसे कार्यक्रमों से जीवन में बदलाव आता है इसलिए इस तरह के अभियान को और आगे बढ़ाते हुए दूसरे क्षेत्रों में भी इसी तरह के अन्य प्रेरणादायक बदलाव लाने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री मोदी ने आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम “मन की बात” की 127वीं कड़ी में रविवार को कहा कि इसी अभियान का परिणाम है कि गुजरात में मैंग्रोव के जंगल विकसित हो रहे हैं और बेंगलुरु में झीलों को नया जीवन देने का अभियान चल रहा है तथा अंबिकापुर में गार्बेज कैफे संचालित हो रहे हैं जो बदलाव के नये उदाहरण बन रहे हैं।

उन्होंने मैंग्रोव लगाने के अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि गुजरात के वन विभाग ने इसके महत्व को समझते हुए खास मुहिम चलाई है। पांच साल पहले वन विभाग की टीमों ने अहमदाबाद के नजदीक धोलेरा में मैंग्रोव लगाने का काम शुरू किया और आज, धोलेरा तट पर साढ़े तीन हजार हेक्टेयर में मैंग्रोव फैल चुके हैं। इनका असर आज पूरे क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। वहाँ के इकोसिस्टम में डॉलफिन की संख्या बढ़ गयी है। केंकड़े और दूसरे जलीय जीव भी पहले से ज्यादा हो गए हैं। यही नहीं, अब यहाँ प्रवासी पक्षी भी काफी संख्या में आ रहे हैं। इससे वहाँ के पर्यावरण पर अच्छा प्रभाव तो पड़ा ही है, धोलेरा के मछली पालकों को भी फायदा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि धोलेरा के अलावा गुजरात के कच्छ में भी इन दिनों मैंग्रोव का पौधरोपण बहुत जोरों पर हो रहा है, वहाँ कोरी क्रीक में मैंग्रोव लर्निंग सेंटर भी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पेड़- पौधों और वृक्षों की यही तो खासियत होती है। जगह चाहे कोई भी हो, वो हर जीव मात्र की बेहतरी के लिए काम आते हैं। इसीलिए तो हमारे ग्रन्थों में कहा गया है –धन्या महीरूहा येभ्यो, निराशां यान्ति नार्थिनः।|अर्थात्, वो वृक्ष और वनस्पतियाँ धन्य हैं, जो किसी को भी निराश नहीं करते। हमें भी चाहिए, हम जिस भी इलाके में रहते हैं, पेड़ अवश्य लगाएं। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ के अभियान को हमें और आगे बढ़ाना है।

उन्होंने कहा कि इसी तरह के बदलाव स्वच्छता और स्वच्छता के प्रयास में देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा “मैं आपसे देश के तीन अलग-अलग शहरों की ऐसी गाथाएं साझा करना चाहता हूँ जो बहुत प्रेरणादायक हैं। छतीसगढ़ के अम्बिकापुर में शहर से प्लास्टिक कचरा साफ करने के लिए एक अनोखी पहल की गई है। अम्बिकापुर में गार्बेज कैफ़े चलाए जा रहे हैं। ये ऐसे कैफ़े हैं, जहाँ प्लास्टिक कचरा लेकर जाने पर भरपेट खाना खिलाया जाता है। अगर कोई व्यक्ति एक किलो प्लास्टिक लेकर जाए उसे दोपहर या रात का खाना मिलता है और कोई आधा किलो प्लास्टिक ले जाए तो नाश्ता मिल जाता है। ये कैफ़े अम्बिकापुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन चलाता है। इसी तरह का कमाल बेंगलुरु में इंजीनियर कपिल शर्मा जी ने किया है। बेंगलुरू को झीलों का शहर कहा जाता है और कपिल जी ने यहां झीलों को नया जीवन देने का अभियान शुरू किया है। कपिल जी की टीम ने बेंगलुरु और आसपास के इलाकों में 40 कुंओं और छह झीलों को फिर से जिंदा कर दिया है। खास बात तो ये है कि उन्होंने अपने मिशन में कॉरपोरेट और स्थानीय लोगों को भी जोड़ा है। उनकी संस्था पेड़ लगाने के अभियान से भी जुड़ी है।”

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