नयी दिल्ली, राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने दिल्ली सरकार की कारों की सम-विषम योजना को 13 नवंबर से लागू करने के लिए आज कुछ शर्तों के साथ अपनी सहमति दे दी। प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर से निपटने के लिए यह योजना पांच दिनों की होगी। एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि सीएनजी वाहनों और एंबुलेंस व दमकल जैसी आपातकालीन सेवाओं के अतिरिक्त किसी को भी इस योजना से छूट नहीं मिलनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान अधिकरण ने दिल्ली सरकार से पूछा कि अगर उसका लक्ष्य वायु की गुणवत्ता में सुधार करना है तो वह खास वर्गों को छूट क्यों दे रही है। पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि निर्माण की गतिविधियों पर रोक लगाने के अधिकरण के आदेश का उल्लंघन करने पर उन पर क्यों नहीं जुर्माना लगाया जाए।
आप सरकार ने राजधानी में प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने की स्थिति से निपटने के लिए गुरूवार को चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना के तहत सम-विषम योजना लाने की घोषणा की थी। दिल्ली-एनसीआर में बेहद खराब हो रही वायु गुणवत्ता के खिलाफ तत्काल कार्रवाई किए जाने के लिए याचिका की सुनवाई के दौरान अधिकरण ने कहा कि यह एक “पर्यावरणीय आपातकाल” है जो बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है।
वर्ष 2016 में राष्ट्रीय राजधानी में कारों की यह योजना दो बार लागू की गई थी। इस साल 13 नवंबर से 17 नवंबर तक सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक यह योजना लागू रहेगी। योजना के तहत निजी वाहनों के लाइसेंस प्लेट पर दर्ज आखिरी संख्या के आधार पर उन्हें सड़कों पर चलने दिया जाएगा। सम संख्या वाली कार केवल सम तिथि को चलेंगी और विषम संख्या वाली कार केवल विषम तिथि को चल सकती हैं।