एयर इंडिया दुर्घटना मामले में उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जाँच की याचिका

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर अहमदाबाद में 12 जून, 2025 को हुए एयर इंडिया बोइंग ड्रीमलाइनर विमान हादसे मामले में “निगरानी और नियंत्रण” में स्वतंत्र जाँच की गुहार लगाई गई है। इस हादसे में 260 लोगों की जान चली गई थी।

याचिका में कहा गया है, “जब एक ही विनाशकारी घटना में सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है तो राष्ट्र न केवल मृतकों के लिए शोक मनाता है, बल्कि जाँच प्रक्रिया को सच्चाई, जवाबदेही और इस आश्वासन के स्रोत के रूप में भी देखता है कि ऐसी आपदा फिर कभी नहीं होगी।

याचिका में जाँच की निगरानी के लिए स्वतंत्र पेशेवरों की नियुक्ति के निर्देश देने की भी माँग की गई है, क्योंकि अधिकारियों द्वारा महत्वपूर्ण जानकारी का चयनात्मक और अपूर्ण प्रकटीकरण, साथ ही प्रणालीगत खामियों को नज़रअंदाज़ करते हुए पायलट की गलती को समय से पहले ही दोषी ठहराना, संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 14 का निरंतर उल्लंघन है।

याचिका में तर्क दिया गया है कि विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो द्वारा जारी प्रारंभिक रिपोर्ट अधूरी, चयनात्मक और पारदर्शिता से रहित है, जिससे जाँच प्रक्रिया की विश्वसनीयता और यात्रा करने वाले लोगों का विश्वास में कमी आती है।

याचिका में तर्क दिया गया है कि प्रारंभिक रिपोर्ट विमान (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जाँच) नियम, 2017 के नियम 2(25) का पालन करने में विफल रही, जिसमें कहा गया है कि ऐसी रिपोर्ट का उद्देश्य जाँच के प्रारंभिक चरणों के दौरान प्राप्त सभी आँकड़ों को प्रसारित करना था। इसके बजाय, रिपोर्ट में चुनिंदा खुलासे शामिल हैं, जैसे कि बिना टाइमस्टैम्प, पूर्ण प्रतिलेख या पुष्टिकारी संदर्भ के कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग के संक्षिप्त संदर्भ।

याचिका में कहा गया है कि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग के अधूरे और असत्यापित अंश जारी करके, प्रतिवादी ने एक ऐसा सूचना वातावरण बनाया है जो निष्पक्षता, पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही के सिद्धांतों के विपरीत है जो हवाई दुर्घटना जाँच को नियंत्रित करना चाहिए।

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