आजकल कई तरह की एलर्जी देखने में आती हैं। इनमें से जो एलर्जी सबसे ज्यादा परेशानी पैदा करती हैं, वे आंख और नाक की एलर्जी हैं। जब किसी इंसान का इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरोधक तंत्र वातावरण में मौजूद लगभग नुकसानरहित पदार्थों के संपर्क में आता है तो एलर्जी संबंधी समस्या होती है। शहरी वातावरण में तो इस तरह की समस्याएं और भी ज्यादा हैं। नाक की एलर्जी से पीड़ित लोगों की नाक के पूरे रास्ते में अलर्जिक सूजन पाई जाती है। ऐसा धूल और पराग कणों जैसे एलर्जी पैदा करने वाली चीजों के संपर्क में आने की वजह से होता है।
नाक की एलर्जी के प्रकार:- नाक की एलर्जी मुख्य तौर पर दो तरह की होती है। पहली मौसमी, जो साल में किसी खास वक्त के दौरान ही होती है और दूसरी बारहमासी, जो पूरे साल चलती है। दोनों तरह की एलर्जी के लक्षण एक जैसे होते हैं। मौसमी एलर्जी को आमतौर पर घास-फूस का बुखार भी कहा जाता है। साल में किसी खास समय के दौरान ही यह होता है। घास और शैवाल के पराग कण जो मौसमी होते हैं, इस तरह की एलर्जी की आम वजहें हैं। नाक की बारहमासी एलर्जी के लक्षण मौसम के साथ नहीं बदलते। इसकी वजह यह होती है कि जिन चीजों के प्रति आप अलर्जिक होते हैं, वे पूरे साल रहती हैं। जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें लगातार कपालभाति का अभ्यास करना चाहिए और इसकी अवधि को जितना हो सके, उतना बढ़ाना चाहिए। तीन से चार महीने का अभ्यास आपको एलर्जी से मुक्ति दिला सकता है।
इनमें शामिल हैंः कॉकरोच, पालतू जानवरों की रूसी और छछूंदर के बीजाणु। इसके अलावा घरों में पाए जाने वाले बेहद छोटे-छोटे परजीवियों से भी एलर्जी हो सकती है। घर की साफ-सफाई करने वाला हर शख्स जानता है कि धूल का कोई मौसम नहीं होता। अच्छी बात यह है कि एलर्जी पैदा करने वाले इन कारणों से बचकर आप हमेशा रहने वाली नाक की एलर्जी को नियंत्रित कर सकते हैं।
कारण:- एलर्जी की प्रवृत्ति आपको आनुवंशिक रूप से यानि कि अपने परिवार या वंश से मिल सकती है। किसी खास पदार्थ के साथ लंबे वक्त तक संपर्क में रहने से भी हो सकती है। नाक की एलर्जी को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैंः सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना, जन्म के समय बच्चे का वजन बहुत कम होना, बच्चों को बोतल से ज्यादा दूध पिलाना, बच्चों का जन्म उस मौसम में होना, जब वातावरण में पराग कण ज्यादा होते हैं।
मौसमी एलर्जी से बचाव:- जिन चीजों से आपकी एलर्जी बढ़ जाती है, उन सभी को आप खत्म तो नहीं कर सकते, लेकिन कुछ कदम उठाकर आप इसके लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं। साथ ही, एलर्जी पैदा करने वाले उन तत्वों से बचाव भी संभव है। बरसात के मौसम, बादलों वाले मौसम और हवा रहित दिनों में पराग कणों का स्तर कम होता है। गर्म, शुष्क और हवा वाला मौसम वायुजनित पराग कणों और एलर्जी के लक्षणों को बढ़ा सकता है। इसलिए ऐसे दिनों में बाहर कम आएं-जाएं और खिड़कियों को बंद करके रखें। अपने बगीचे या आंगन को सही तरीके से रखें। लॉन की घास को दो इंच से ज्यादा न बढ़ने दें। चमकदार और रंगीन फूल सबसे अच्छे होते हैं, क्योंकि वे ऐसे पराग कण पैदा करते हैं, जिनसे एलर्जी नहीं होती।
बारहमासी एलर्जी से बचाव:- पूरे साल के दौरान अगर आप एलर्जी से पीड़ित रहते हैं, तो इसका दोष आपके घर या ऑफिस को दिया जा सकता है। एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए सबसे बढ़िया तरीका है कि आप अपने घर और ऑफिस को साफ-सुथरा रखें। इसके लिए हफ्ते में एक बार घर और ऑफिस की धूल झाड़ना अच्छा कदम है, लेकिन एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए यह काफी नहीं है। हो सकता है कि साफ सुथरी जगह होने के बावजूद वहां से एलर्जी पैदा करने वाले तत्व साफ न हुए हों। नाक की एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए घर को एक बेहतर जगह बनाने के लिए कुछ अतिरिक्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। कालीन और गद्देदार फर्नीचर की साफ-सफाई पर खास ध्यान दें। ऐसे गद्दों और तकियों के कवर का इस्तेमाल करें जिन पर एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों का असर न होता हो। हर हफ्ते अपने बिस्तर को धोएं। इससे चादरों और तकियों के कवर पर आने वाले एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों से छुटकारा मिलेगा।
अच्छा तो यह होगा कि इन्हें गर्म पानी में धोया जाए और फिर इन्हें गर्म ड्रायर में सुखाया जाए। जब आप बाहर जाते हैं तो पराग कण आपके जूतों से चिपक जाते हैं। इसलिए बाहर से आने से पहले पैरों को पोंछ लें या जूतों को बाहर ही उतार दें। अपने दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें, खासकर उन दिनों में जब पराग कण ज्यादा होते हैं।
एलर्जी का इलाज… नाक की एलर्जी का इलाज करने के लिए तीन तरीके हैं: सबसे अच्छा तरीका है बचाव। जिन वजहों से आपको एलर्जी के लक्षण बढ़ते हैं, उनसे आपको दूर रहना चाहिए। दवा जिनका उपयोग आप लक्षणों को रोकने और इलाज के लिए करते हैं। इम्यूनोथेरपी-इसमें मरीज को इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिनसे एलर्जी करने वाले तत्वों के प्रति उसकी संवेदनशीलता में कमी आ जाती है। नाक की एलर्जी को आपको नजरंदाज नहीं करना चाहिए। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो इससे साइनस, गला, कान और पेट की समस्याएं हो सकती हैं। ऐसी स्थितियों के लिए इलाज की मुख्य पद्धति के अलावा वैकल्पिक तरीके भी इस्तेमाल किए जाते हैं। जहां तक योग की बात है, तो सदगुरु कहते हैं कि कपालभाति का रोजाना अभ्यास करने से एलर्जी के मरीजों को काफी फायदा होता है।
एलर्जी में रामबाण है कपालभाति:- मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं जिन्होंने अपने साइनस का इलाज करने की कोशिश में अपने पूरे सिस्टम को बिगाड़ दिया है। इसके लिए आपको बस एक या दो महीने तक लगातार कपालभाति का अभ्यास करना है, आपका साइनस पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। अगर आप इसे सही तरीके से करते हैं, तो कपालभाति से सर्दी-जुकाम से संबंधित हर रोग में आराम मिलेगा। जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें लगातार कपालभाति का अभ्यास करना चाहिए और इसकी अवधि को जितना हो सके, उतना बढ़ाना चाहिए। तीन से चार महीने का अभ्यास आपको एलर्जी से मुक्ति दिला सकता है। कुछ अपवाद हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों को इससे फायदा ही हुआ है।
10 से 12 काली मिर्च कूट लें। इन्हें दो चम्मच शहद में रात भर भिगोकर रखें। सुबह उठकर इसे खा लें और काली मिर्च को चबा लें। शहद में हल्दी मिला ली जाए तो वह भी अच्छा है। अगर आप सभी डेरी पदार्थों से बचकर रहते हैं तो अपने आप ही बलगम कम होता जाएगा।जिन लोगों को कोई आराम नहीं मिला, उन्हें चाहिए कि जिन चीजों से उन्हें एलर्जी होती है, उनसे कुछ समय के लिए बचकर रहें और कुछ समय तक क्रिया करना जारी रखें, जिससे यह ठीक से काम करने लगे। एलर्जी की वजह से हो सकता है कि उनकी क्रिया बहुत ज्यादा प्रभावशाली न हो।
अगर नाक का रास्ता पूरी तरह नहीं खुला है और बलगम की ज्यादा मात्रा है तो क्रिया पूरी तरह से प्रभावशाली नहीं भी हो सकती है। अगर सही तरीके से इसका अभ्यास किया जाए, तो आपको अपने आप ही एलर्जी से छुटकारा मिल सकता है। सर्दी का मौसम फिर आपको परेशान नहीं करेगा। सर्दी ही नहीं, गर्मी से भी आपको ज्यादा परेशानी नहीं होगी। जब आपके भीतर ही एयर कंडिशन हो तो गर्मी और सर्दी आपको बहुत ज्यादा परेशान नहीं करेगी। नाक के रास्तों को साफ रखना और सही तरीके से सांस लेना एक बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। आधुनिक समाज के लोग इसे भूल गए हैं। उन्हें लगता है कि कैसे भी जाए, बस हवा अंदर चली जाए, इतना ही काफी है। ऐसा नहीं है।
साफ नासिका छिद्र और श्वसन के स्वस्थ तरीके का बड़ा महत्व है। अगर कपालभाति का भरपूर अभ्यास किया जाए तो अतिरिक्त बलगम यानी कफ भी खत्म हो जाएगा। शुरू में आप कपालभाति 50 बार करें। इसके बाद धीरे-धीरे रोजाना 10 से 15 बार इसे बढ़ाते जाएं। चाहें तो इसकी संख्या एक हजार तक भी बढ़ा सकते हैं। ऐसे भी लोग हैं जो 500, 1000 या 1500 कपालभाति भी करते हैं। अभ्यास करते रहने से एक ऐसा वक्त भी आएगा, जब कोई अतिरिक्त बलगम नहीं होगा और आपका नासिका छिद्र हमेशा साफ रहेगा।
कुछ घरेलू नुस्खे:- जिन लोगों को सर्दी के रोग हैं और हर सुबह उन्हें अपनी नाक बंद मिलती है, उन्हें नीम, काली मिर्च, शहद और हल्दी का सेवन करना चाहिए। इससे उन्हें काफी फायदा होगा। इसके लिए नीम की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट से एक छोटी सी गोली बना लें, इसे शहद में डुबोएं और हर सुबह खाली पेट इसे निगल लें। अगले एक घंटे तक कुछ न खाएं, ताकि नीम का आपके शरीर पर असर हो सके। यह तरीका हर तरह की एलर्जी में फायदा पहुंचाता है, चाहे वह त्वचा की एलर्जी हो, भोजन की एलर्जी हो या किसी और चीज की। इस अभ्यास को हमेशा करते रहना चाहिए। इससे नुकसान कुछ नहीं है।
नीम के अंदर जबर्दस्त औषधीय गुण हैं। कड़वाहट ज्यादा महसूस होती है तो नीम की मुलायम नई पत्तियों का इस्तेमाल कर लें, नहीं तो कोई भी हरी और ताजी पत्ती ठीक है। 10 से 12 काली मिर्च कूट लें। इन्हें दो चम्मच शहद में रात भर भिगोकर रखें। सुबह उठकर इसे खा लें और काली मिर्च को चबा लें। शहद में हल्दी मिला ली जाए तो वह भी अच्छा है। अगर आप सभी डेरी पदार्थों से बचकर रहते हैं तो अपने आप ही बलगम कम होता जाएगा।