उज्जैन , दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट जाने में भी मुझे इतनी दिक्कत नहीं हुई थी जितनी महाकाल मंदिर में भगवान के दर्शन करने में हुई. ये दर्द बयां किया है माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा ने. यूपी के अंबेडकरनगर की रहने वाली अरुणिमा को उज्जैन के महाकाल मंदिर में सिर्फ इसलिए प्रवेश नहीं करने दिया गया क्योंकि उन्होंने मंदिर की परंपरा के अनुसार साड़ी नहीं पहनी थी.
अरुणिमा मध्य प्रदेश सरकार के बुलावे पर वहां गई थीं. इस घटना से आहत अरुणिमा ने कहा कि एमपी के किसी भी छोटे से छोटे व्यक्ति के बुलावे पर आऊंगी लेकिन एमपी सरकार के बुलाने पर कभी नहीं आऊंगी. अरुणिमा ने कहा है कि इस पूरे मामले की शिकायत मैं पीएम मोदी से और एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान से करूंगी.
अरुणिमा ने कहा कि मंदिर में प्रवेश के दौरान मैंने अपना पैर घुटने तक खोलकर दिखाया लेकिन वहां तैनात महिला कर्मचारियों ने मुझे धकियाते हुए कहा कि इन वस्त्रों में तो आप अंदर जा ही नहीं सकतीं. अरुणिमा ने कहा कि जब मेरे साथ ऐसा हुआ तो आम लोगों के साथ कैसा व्यवहार होता होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि मुझे पहले से पता होता तो मैं लोवर-टीशर्ट की जगह साड़ी पहनकर जाती लेकिन वहां कोई बार्ड नहीं लगा है कि किन वस्त्रों में मंदिर में आना है. पहली बार मैं किसी मंदिर से रोते हुए बाहर निकली हूं. अरुणिमा ने कहा कि मुझे यह कहते हुए भी रोका गया कि ढाई बजे तक वीवीवीआईपी के लिए रिजर्व है. कहती हैं कि क्या आम आदमी भगवान के दर्शन भी नहीं कर सकता. इसकी शिकायत प्रधानमंत्री और एमपी के सीएम से जरूर करूंगी.