नई दिल्ली,केन्द्रीय सूचना आयोग का कहना है कि नोटबंदी से जुड़े हर सरकारी विभाग की यह जवाबदेही बनती है कि वह फैसले के पीछे के सभी तथ्यों की सही-सही जानकारी को सामने रखे, साथ ही वह यह भी बताएं कि इतने बड़े कदम के पीछे के प्रमुख कारण क्या रहे। नोटबंदी के बारे में जानकारी के अभाव में पारदर्शिता पैनल की ओर से पहली टिप्पणी के रुप में सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा कि सूचना को रोकना का कोई भी प्रयास अर्थव्यवस्था के बारे में गंभीर संदेह पैदा करेगा।
उन्होंने कहा कि निर्णयों के चारों ओर स्टील का किला बनाने की पुरानी आदत को बदलना होगा। उन्होंने कहा, एक ऐसे लोकतांत्रिक देश में जहां कानून का राज है, नोटबंदी जैसे सार्वजनिक मामले में चारों ओर लोहे के ऐसे किले बनाने के रवैये को स्वीकार करना थोड़ा मुश्किल है, जिसे बाहुबली भी न तोड़ पाएं। वो यहां पर साल 2015 की ब्लॉकबस्टर फिल्म बाहुबली का उल्लेख कर रहे थे।
केन्द्रीय सूचना आयोग का यह बयान ऐसे समय में काफी मायने रखता है जब प्रधानमंत्री कार्यालय और भारतीय रिजर्व बैंक नोटबंदी के संबंध में दाखिल की गईं आरटीआई का जवाब देने से इनकार कर रहे हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने नोटबंदी का फैसला बीते साल 8 नवंबर को लिया गया था जिसमें 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को अमान्य कर दिया गया। यह राशि उस वक्त बाजार में प्रचलित कुल करेंसी का 86 फीसद हिस्सा थी।