कोझिकोड , प्रख्यात कथकली गुरु चेमांचेरी कुंहिरामन नायर का सोमवार तड़के चेलिया में उनके आवास में निधन हो गया। वह 105 वर्ष के थे।
श्री नायर ने नौ दशकों तक एक गुरू, संरक्षक और शिक्षक, शतायु कलाकार के रूप में अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया था।
उन्होंने कथकली की ‘कल्लदीकोड’ नृत्य शैली 14वर्ष की कम उम्र में शुरू की। विशेषज्ञता के साथ-साथ अथक प्रयास करने वाले इस दिग्गज कलाकार के लिए उम्र कभी बाधा नहीं बनी।
भगवान कृष्ण के रूप में मंच पर ‘वेशम’ (भूमिका) के लिए उनकी चारों ओर प्रशंसा हुई। उन्होंने 1945 में भारतीय नाट्यकलाम की स्थापना की और बाद में 1983 में अपने पैतृक शहर में चेलिया कथकली विद्यालयम की स्थापना की।
उन्हें केरल संगीत नाटक अकादमी ने 1977 में सम्मानित किया और बाद में 1999 में उन्हें फैलोशिप से नवाजा।
वर्ष 2001 में केरल कलामंडलम ने उन्हें कला में विशेष योगदान के लिए कलामंडलम पुरस्कार प्रदान किया। उन्हें 2002 में दारापनाम नाट्य कुलपति पुरस्कार मिला और इसी वर्ष उन्हें मयपिल्ली पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कला के रूप में उनके शानदार योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2017 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।