कन्नौज, कन्नौज लोकसभा सीट को अपना घर बताने के बावजूद उम्मीदवार की घोषणा नवरात्र तक करने की बात कह कर समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संस्पेंस को चरम पर पहुंचा दिया है।
कन्नौज सीट अरसे तक समाजवादी पार्टी (सपा) के कब्जे मे रही मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच सपा का गढ़ कहलाने वाला यह क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास चला गया। भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बना कर लड़े जा रहे मौजूदा लोकसभा चुनाव में भाजपा का इत्र नगरी में प्रचार प्रसार चरम पर है वहीं सपा के अब तक इस सीट से उम्मीदवार की घोषणा नहीं करने से स्थानीय सपा समर्थकों की बेचैनी बढ़ा दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सपा अध्यक्ष खुद इस सीट से चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा को मशक्कत करनी पड़ सकती है अन्यथा की स्थिति में भाजपा के लिये इस सीट को बरकरार रखने में खास मुश्किलात का सामना नहीं करना पड़ेगा।
भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद सुव्रत पाठक पर एक बार फिर विश्वास जताया है और पाठक जोरदारी से प्रचार करने में जुटे हुए हैं, वहीं मंगलवार को यहां आये सपा अध्यक्ष बोल गए हैं कि कन्नौज उनके घर है और कोई अपने घर को नहीं छोड़ता है लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक ना तो उनकी ओर से और ना ही पार्टी के किसी दूसरे उम्मीदवार के नाम की घोषणा की गई है इसी वजह से लोग फिलहाल संशय में बने हुए हैं।
समाजवादी पार्टी से जुड़े हुए लोग ऐसा मान करके चल रहे हैं कि अगर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद इस संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतरते हैं तो पार्टी की जीत का रास्ता हर हाल में बड़ा खुलेगा अन्यथा दूसरे उम्मीदवार के लिए पार्टी जनों को खासी मशक्कत करनी पड़ेगी।
अखिलेश यादव शुरुआत से ही कन्नौज संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतरने की बात कहते रहे हैं इस बात की तस्दीक पार्टी के जिला अध्यक्ष कलीम खान भी करते हैं लेकिन अभी तक उम्मीदवार के नाम की घोषणा ना होने से पार्टी जनों में जोश पैदा नहीं हो पा रहा है।
वर्ष 1999 में मुलायम सिंह यादव के कन्नौज से चुनाव जीतने के बाद 2000 से 2009 तक लगातार तीसरी बार अखिलेश यादव सांसद रहे। वर्ष 2012 में डिंपल यादव निर्विरोध सांसद चुनी गईं। इसके बाद 2014 में भी डिंपल ने जीत दर्ज की। वर्ष 2019 में भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने डिंपल को हराकर सपा का गढ़ ढहा दिया था। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कन्नौज संसदीय सीट प्रारंभिक राजनीतिक केंद्र रहा है।
इसी बीच ऐसा कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने भतीजे मैनपुरी के पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव या औरैया जिले की बिधूना विधानसभा सीट से सपा विधायक श्रीमती रेखा वर्मा को चुनाव मैदान में उतार सकते है लेकिन फिलहाल अभी अखिलेश ने अपने पत्ते नहीं खोले है।
कन्नौज संसदीय सीट का राजनीतिक मिजाज समाजवादियों के लिए पक्षधर रहा है।
2009 में रेखा वर्मा के पति महेश वर्मा ने अखिलेश के खिलाफ चुनाव लड़ा था। बिधूना विधायक रेखा वर्मा के ससुर धनीराम वर्मा औरैया सदर और बिधूना सीट से छह बार विधायक रहे हैं। इसके अलावा वह विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से रेखा वर्मा के पति डा. महेश वर्मा ने बसपा के टिकट पर अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था। अखिलेश ने 3,56,895 वोट पाते हुए जीत दर्ज की थी। डा. महेश वर्मा को 1,91,887 वोट मिले थे और भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक तीसरे स्थान पर रहे थे। इस सीट पर तिर्वा, बिधूना और छिबरामऊ विधानसभा क्षेत्र में लोधी मतदाता निर्णायक माना जाता है। हाल के दिनो मे रानी अवंतीबाई प्रतिमा को लेकर लोधी समाज में भाजपा के प्रति खासी नाराजगी भी रेखा वर्मा के लिए मुफीद साबित हो सकती है। विधायक रेखा वर्मा शिक्षिका हैं, शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं से खासा जुड़ाव है।