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करहल फतह के लिये सपा-भाजपा के बड़े बड़े दावे

इटावा/मैनपुरी, यादव पट्टी की सबसे अहम मानी जाने वाली उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर अपनी अपनी जीत को लेकर सपा भाजपा बड़े दावे कर रहे हैं।

करहल में मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच भी दिखाई है। भाजपा इस सीट पर जीत का दावा कर रही हो लेकिन समाजवादी पार्टी का दावा सबसे अधिक मजबूत दिख रहा है। इस सीट से उतरे भाजपा उम्मीदवार अनुजेश यादव और सपा उम्मीदवार तेज प्रताप के बीच फूफा भतीजे का रिश्ता है। भारतीय जनता पार्टी के नेत्री श्रीमती अपर्णा यादव की राय भी करहल सीट को बड़ी चर्चा में बनी हुई है।

समाजवादी पार्टी इस सीट को अपनी परंपरागत सीट मान करके जीत का ऐतिहासिक दावा कर रही है वही दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी भी इस उप चुनाव में अपनी जीत को लेकर के कुछ ऐसा ही दावा कर रही है।

करहल विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का व्यापक जनाधार माना जाता है इसीलिए एक लंबे अर्से से करहल सीट समाजवादियों के कब्जे में बनी हुई है। करहल सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार तेज प्रताप यादव का कहना है कि उनकी जीत में किसी भी प्रकार का कोई संशय इसलिए नहीं है क्योंकि यह सीट समाजवादियों की परंपरागत सीट है। एक लंबे अरसे से यहां के मतदाता समाजवादियों के पक्ष में अपना मतदान करते रहे हैं और इस दफा भी नतीजे के तौर पर समाजवादियों की ही जीत होगी।

समाजवादी पार्टी के मुख्य सचेतक और आजमगढ़ के सांसद धर्मेंद्र यादव कहते हैं कि करहल सीट पर सपा की जीत तो हर हाल में होगी ही अब इंतजार केवल ऐतिहासिक जीत का ही है।
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अनुजेश प्रताप सिंह यादव का दावा है कि वह ऐसी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे हैं कि जो राष्ट्रवादी पार्टी है,राष्ट्र प्रेम की बात करती है और उन्होंने चुनाव मैदान के दौरान देश हित की बात करके आम मतदाताओं से वोट मांगे हैं इसलिए उन्हें भरोसा है देश हित की बात करने वाली पार्टी की जीत जरूर होगी।

भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष राहुल चतुर्वेदी का दावा है कि करहल सीट पर भले ही सपा अपनी जीत का दावा करें लेकिन इस दफा भगवा फहरने से रोकने वाला कोई नहीं है । भारतीय जनता पार्टी की नीतियों और रीतियां ऐसी है कि इस सीट पर इस दफा हर हाल में भगवा ही फहरेगा।

पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को उपचुनाव में जीत दिलाने के लिए समाजवादी परिवार पूरी तरह से एकजुट नजर आ रहा है जहां समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव, महासचिव शिवपाल सिंह यादव, मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के अलावा परिवार के तमाम राजनीतिक गैर राजनीतिक सदस्य तो आम लोगों के बीच वोट मांग ही रहे हैं इसके अलावा समाजवादी पार्टी के तमाम छोटे बड़े नेता जनता के बीच जाकर समाजवादी पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील करने में जुटे हुए हैं।

मुलायम सिंह यादव की समधन पूर्व विधायक श्रीमती उर्मिला यादव का दावा है कि करहल सीट किसी की भी बपौती नहीं है, करहल की जनता बदलाव चाहती है और इसी बदलाव के चलते उनके बेटे अनुजेश की जीत होगी।

करहल विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक है। करहल विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का आठ बार कब्जा रहा है। इस विधानसभा सीट से 1985 में दलित मजदूर किसान पार्टी के बाबूराम यादव, 1989 और 1991 में समाजवादी जनता पार्टी (सजपा) और 1993, 1996 में सपा के टिकट पर बाबूराम यादव विधायक निर्वाचित हुए। 2000 के उपचुनाव में सपा के अनिल यादव, 2002 में बीजेपी और 2007, 2012 ,2017 में सपा के टिकट पर सोवरन सिंह यादव और 2022 में सपा प्रमुख अखिलेश यादव विधायक चुने गए। मैनपुरी की करहल सीट यादव बाहुल्य है और 2002 को छोड़ दिया जाए तो पिछले करीब 34 साल से इस सीट पर समाजवादी पार्टी का दबदबा बना हुआ है। 2002 में सोबरन सिंह ने यह सीट बीजेपी की झोली में डाली थी, जो बाद में सपा में शामिल हो गए। 2022 विधानसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए सोबरन सिंह ने यह सीट छोड़ी इसके एवज में उनके बेटे मुकुल यादव को समाजवादी पार्टी ने एमएलसी बना दिया।

करहल विधानसभा सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 3,75,000 है। जातीय समीकरण की बात करें तो करहल में 1,30,000 यादव हैं। वहीं अनुमान के मुताबिक इस सीट पर अनुसूचित जाति के 60,000 मतदाता भी हैं। इसके साथ ही 50,000 शाक्य, 30,000 ठाकुर; 30,000 पाल/ बघेल, 25,000 मुस्लिम, 20,000 लोधी, 20,000 ब्राह्मण और 15,000 बनिया समाज के मतदाता हैं।