कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप पर घिरे फारूक अब्दुल्ला

 

NEPAL-SUMMIT/

नई दिल्ली,  जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला कश्मीर मुद्दे पर समाधान तलाशने के मामले में तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की वकालत करने के अपने बयान में घिर गए हैं। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा-पीडीपी, विपक्षी कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टी एनपीपी ने इसका पुरजोर विरोध किया है। दरअसल फारुख अब्दुल्ला ने एक बार फिर हुर्रियत नेताओं से बातचीत करने की वकालत करते हुए कहा, कश्मीर समस्या का समाधान बातचीत से ही सम्भव है। सरकार को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए जिससे घाटी में शांति स्थापित की जा सके। अब्दुल्ला ने  कहा, आपको बैल को पकड़ने के लिए उसके सींग को पकड़ना पड़ता है।

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 कभी-कभी आप ऐसा करते हैं। उन्होंने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्वयं कहा था कि मैं कश्मीर समस्या का समाधान चाहता हूं, जबकि हमने उनसे राय नहीं मांगी थी। चीन ने भी कहा कि वे कश्मीर में मध्यस्थता करना चाहते हैं। भारत को कश्मीर मसले के तत्काल समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र चीन से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा, आप कब तक इंतजार करेंगे? फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि घाटी में शांति स्थापित करने को बातचीत ही जरिया है। आज के समय में हम युद्ध नहीं कर सकते हैं। उनके पास भी परमाणु बम हैं और आपके पास भी हैं। इसलिए युद्ध रास्ता नहीं है, बातचीत रास्ता है।

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 उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को दोस्तों का उपयोग करना चाहिए और बातचीत के माध्यम से हल निकालना चाहिए। उनके इस बयान के बाद उनपर विरोधियों के हमले तेज हो गए। राज्य सरकार में पीडीपी की सहयोगी भाजपा ने कहा कि इसे सरकार चलाने के लिए अब्दुल्ला के सलाह की जरूरत नहीं है। अब्दुल्ला पर हमलावर होते हुए भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, फारूक अब्दुल्ला ने कई बार इस संविधान की शपथ ली है, लेकिन फिर भी वह ऐसे बयान देते हैं।

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 राष्ट्रभक्त उनका असली चेहरा अब समझ रहे होंगे। वहीं, कांग्रेस ने कहा कि यह देश का आंतरिक मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अब्दुल्ला के इस सुझाव को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, मैं लंबे समय से कह रहा हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र में उनकी नीतियों के कारण जम्मू-कश्मीर बर्बाद हुआ है। ऐसे समय में कहा जा रहा है कि तीसरे पक्ष को हस्तक्षेप करना चाहिए, जो कि बिल्कुल गलत है। भारत कश्मीर है और कश्मीर भारत है। यह हमारा आंतरिक मामला है और किसी देश का इससे कुछ लेना देना नहीं है। राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने इसे अब्दुल्ला की पब्लिसिटी पाने का तरीका बताया। उन्होंने कहा, अगर फारूक अब्दुल्ला ने यह कहा है तो इसका मकसद पब्लिसिटी पाना है। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।

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 आज, जम्मू-कश्मीर और भारत के किसी भी हिस्से में कोई समस्या हो रही है, तो उसकी वजह पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से भेजे जा रहे आतंकी हैं। इधर, अपने पिता के बयान का बचाव करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लोग उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा फारूक के बयान का विरोध करने पर कहा, मेरे पिता कांग्रेस के सदस्य नहीं हैं और उन्हें अपनी बात कहने के लिए कांग्रेस की अनुमति की जरूरत नहीं हैं। इसे अभिव्यक्ति की आजादी कहते हैं। हालांकि जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्यमंत्री संजीव कुमार बालियान ने फारुख अब्दुल्ला के साथ-साथ राहुल गांधी को भी घेरते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में आज जो स्थिति है वह स्वयं गांधी की पार्टी और देश के पहले प्रधानमंत्री एवं उनके नाना पं. जवाहरलाल नेहरू की देन है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार जब तक सत्ता में रही वह अलगाववादियों और देशद्रोहियों से वार्ता करती रही जिससे कश्मीर की यह स्थिति हुई है।

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