स्वाईन फ्लू एक वायरल बुखार है, यानी ये वायरस से फैलता है। सिवनी सहित पूरे मध्य प्रदेश में इन दिनों बारिश का मौसम बना हुआ है, वहीं जानकारों के अनुसार बारिश के बाद आने वाली सर्दी में यह वायरस तेजी से पनपना शुरू कर देता है। पानी की नमी के चलते स्वाईन फ्लू का वायरस और घातक हो जाता है। वातावरण में नमी बढ़ने के साथ ही ये ज्यादा तेजी से फैलने लगता है। यही वजह है कि मौसम के बदलने के साथ एकाएक इसके मामलों की बाढ़ सी आ जाती है।
मौसम खराब होने के साथ बेशक स्वाईन फ्लू से होने वाली मौतें भी बढ़ जाती हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस बीमारी को अच्छी तरह से जान-समझ लिया जाये तो इसे पहचानना और इससे बचना भी आसान हो जायेगा। क्या है स्वाईन फ्लू? स्वाईन फ्लू, इनफ्लुएंजा यानी फ्लू वायरस के अपेक्षाकृत नये स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला इन्फेक्शन है। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। इसके इन्फेक्शन ने 2009-10 में महामारी का रूप ले लिया था, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 10 अगस्त 2010 में इस महामारी के खत्म होने का भी ऐलान कर दिया था।
अप्रैल 2009 में इसे सबसे पहले मैक्सिको में पहचाना गया था। तब इसे स्वाईन फ्लू इसलिये कहा गया था क्योंकि सूअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से ये मिलता-जुलता था। स्वाईन फ्लू के लक्षण चिकित्सकों के अनुसार स्वाईन फ्लू के लक्षण भी सामान्य एन्फ्लूएंजा जैसे ही होते हैं। इसमें नाक का लगातार बहना, छींक आना। कफ, कोल्ड और लगातार खांसी होना। मांसपेशियां में दर्द या अकड़न होना। सिर में असहनीय दर्द होना। नींद न आना, थकान ज्यादा लगना, दवा खाने पर भी बुखार नियंत्रित न होना, गले में खराश का लगातार बना रहना या बढ़ते जाना आदि हैं।
चिकित्सकों के अनुसार स्वाईन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तीमारदारों को चपेट में ले लेता है। लिहाजा, किसी में स्वाईन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाये रखना चाहिये, स्वाईन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिये। ऐसे फैलता है स्वाईन फ्लू स्वाईन फ्लू का वायरस हवा में इधर से उधर विचरण करता है। इसके अलावा यह खांसने, छींकने, थूकने से वायरस सेहतमंद लोगों तक पहुंच जाता है।