नई दिल्ली, सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस मे रेलवे की बड़ी चूक सामने आयी है। सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस बुधवार को ट्रैक टूटने की वजह से पलटी थी। घटनास्थल से मिले ट्रैक देखने से साफ पता चल रहा है कि यह पहले से टूटी हुई थी। बड़ी बात यह है कि ट्रैक में दरार काफी वक्त से बन रही थी, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।
नियमों के अनुसार ट्रैक की नियमित जांच विजुअल के अलावा अल्ट्रासोनिक फ्लो-डिडक्शन मशीन से भी होती है। हालांकि, घटना की जांच के लिए रेलवे ने कमिटी गठित कर दी है और रिपोर्ट आने के बाद ही इसकी औपचारिक पुष्टि हो सकेगी। जानकार रेलवे अधिकारी यह भी बताते हैं कि ट्रैक के टूटे हिस्से को देख यह साफ पता चलता है कि इसमें दरार पहले से बन रही थी। क्योंकि करीब आधा हिस्सा तुरन्त का टूटा हुआ दिख रहा है तो आधा हिस्सा काफी पहले का टूटा हुआ है। जिसे जांच में नहीं डिडक्ट किया जा सका, या फिर इस जगह पर लंबे वक्त से ट्रैक की जांच नहीं हुई है। इस तकनीक से होती है ट्रैक की जांच: रेलवे अधिकारी बताते हैं कि ट्रैक की जांच दो तरह से होती है। एक व्यवस्था के तहत की-मैन और पेट्रोलिंग टीम जैसे स्टाफ नजर रखते हैं। दूसरी व्यवस्था के तहत जांच अल्ट्रासोनिक फ्लो डिडक्शन (यूएसएफडी) से की जाती है, जिसमें ट्रैक के अंदर तक आई दरार का पता चल जाता है। लेकिन, यह मशीन 15 डिग्री वर्टिकल एंगल पर आई दरार को डिटेक्ट नहीं कर पाती है। इसके अलावा अन्य एंगल से भी आई दरार को डिटेक्ट नहीं कर पाती है। स्पेन, जापान, चीन जैसे देशों में ऐसी तकनीक है, जिससे पूरे ट्रैक का एक्सरे हो जाता है और बारीक दरार का भी पता चल जाता है। लेकिन भारत में यह तकनीक अभी तक नहीं है।