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काशीनाथ सिंह एवं रतन सिंह को, कैफी आज़मी अवार्ड से, राज्यपाल ने सम्मानित किया

लखनऊ ,उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकार डाॅ0 काशीनाथ सिंह एवं उर्दू के नामवर साहित्यकार डाॅ0 रतन सिंह को कैफी आज़मी अवार्ड एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया।

अखिल भारतीय कैफी आज़मी अकादमी लखनऊ के तत्वावधान में प्रख्यात शायर कैफी आज़मी की 15वीं पुण्य तिथि पर राज्यपाल नाईक ने स्व0 कैफी आज़मी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने 10 मई की विशेषता बताते हुये कहा कि इस दिन शांति और अहिंसा का संदेश देने वाले भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था तथा इसी दिन 1857 में देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम की शुरूआत हुई थी। इसी दिन अकादमी द्वारा प्रख्यात शायर कैफी आज़मी की 15वीं पुण्य तिथि पर साहित्यकारों का सम्मान किया जाता है।

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श्री नाईक ने इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डाॅ0 काशीनाथ सिंह एवं उर्दू के नामवर साहित्यकार डाॅ0 रतन सिंह को कैफी आज़मी अवार्ड एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कैफी आज़मी साहब के व्यक्तित्व के बारे में बताना वास्तव में सूरज को चिराग दिखाने जैसा है। वे उर्दू शायरी में कैफी आज़मी के नाम से इतना मशहूर हुए कि उनके असली नाम सैय्यद अतहर हुसैन रिज़वी को कम ही लोग जानते हैं। कैफी साहब के नाम पर पुरस्कार देना सराहनीय है। यह गलत धारणा है कि उर्दू वर्ग विशेष की भाषा है।

श्री नाईक ने कहा कि आज के सम्मान समारोह में डाॅ0 रतन सिंह को उर्दू के लिये सम्मानित किया गया है जिसने यह साबित कर दिया है कि उर्दू सबकी भाषा है। सारी भाषाओं का उद्गत संस्कृत भाषा से हुआ है। हिन्दी बड़ी बहन है जबकि उर्दू उसकी छोटी बहन। हर भाषा का अपना इतिहास है। देश में उर्दू और हिन्दी भाषायें सबसे ज्यादा बोली जाती हैं। देश की आजादी में साहित्यकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। भाषायें खुशबू बिखेरती हैं जिसमें उर्दू और हिन्दी का संगम अद्भुत है।

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सम्मानित डाॅ0 रतन सिंह एवं डाॅ0 काशीनाथ को शुभकामनाएं देते हुये श्री नाईक ने कहा कि उनकी कलम सौ साल तक चलती रहे। हाथ.पैर की ताकत कम हो सकती है लेकिन विचारों की ताकत कभी कम नहीं होती। यह जानकारी होने पर कि कैफी आज़मी अकादमी के निर्माण में कई सांसदों द्वारा अपनी निधि के माध्यम से सहयोग किया गया हैए उन्होंने संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि श्यह बिल्डिंग सांसद निधि के सहयोग से बनी हैए उसका कुछ श्रेय उन्हें भी जाता है। 1993 में जब स्व0 नरसिंह राव प्रधानमंत्री थे और डाॅ0 मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे तब मेरे प्रस्ताव पर सांसद निधि की शुरूआत हुई।

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राज्यपाल ने सांसद निधि से धन देने के लिये शबाना आज़मी का शुक्रिया अदा किया। वे महाराष्ट्र ;मुंबईद्ध से हैं और कैफी साहबए अमिताभ बच्चनए शबाना आज़मीए जावेद अख्तर की भी कर्मभूमि मुंबई ही है। मुंबई ऐसा शहर है जो परिश्रम करने वालों को आगे बढ़ाता है। राज्यपाल ने इस अवसर पर डाॅ0 काशीनाथ को अपनी पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! की हिन्दी प्रति तथा डाॅ0 रतन सिंह को उर्दू प्रति भी भेंट की।

इस अवसर पर डाॅ0 काशीनाथ सिंह ने कहा कि गंगा जमुनी तहजीब की हिमायत और हिफाजत करना तथा साम्प्रदायिक सौहार्द को बनाये रखना ही कैफी साहब के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। डाॅ0 रतन सिंह ने कहा कि भारतीय भाषाओं में बहुत अच्छा साहित्य लिखा जा रहा है। साहित्य को साहित्य रहने दें। भाषाओं को बांटे नहीं।

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डाॅ0 शारिब रूदौलवी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कहा कि कैफी साहब प्रख्यात शायर के साथ.साथ एक बेहतरीन इंसान थे जिन्होंने मोहब्बत का पैगाम दिया। तरक्की का आधार प्रेम और आपसी मोहब्बत है। अकादमी की महासचिव सईद मेहदी ने स्वागत उद्बोधन देते हुये राज्यपाल की प्रशंसा करते हुए कहा कि कुछ लोग पद से पहचाने जाते हैं लेकिन राज्यपाल राम नाईक ने पद को नई पहचान दी है। इस अवसर पर पूर्व मंत्री डाॅ0 अम्मार रिज़वीए पूर्व कुलपति अनीस अंसारीए डाॅ0 शारिब रूदौलवीए डाॅ0 शबीहा अनवरए विलायत जाफरीए सुश्री परवीन तलहा समेत हिन्दी एवं उर्दू के जाने.माने साहित्यकार उपस्थित थे।

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