नई दिल्ली, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया में 2015 में सड़क हादसों तथा आत्महत्या जैसे रोके जा सकने वाले कारकों की वजह से लगभग 12 लाख किशोरों की मौतों में से दो तिहाई मौत भारत सहित कम एवं मध्यम आय वाले देशों में हुईं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया कि इनमें से अधिकतर मौतों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा एवं सामाजिक सहायता से रोका जा सकता था।
इसमें स्कूलों में समग्र यौन शिक्षा और शराब के सेवन के लिए उम्र सीमा बढ़ाने की सिफारिश की गई है। संगठन और इसके भागीदारों की रिपोर्ट में कहा गया है, हर रोज तीन हजार से अधिक किशोर मारे जाते हैं, एक साल में मौतों की यह कुल संख्या 12 लाख हो जाती है, अधिकतर मौतें रोके जा सकने वाले कारकों की वजह से होती हैं।
इसमें कहा गया, 2015 में, इन मौतों में से दो तिहाई मौत अफ्रीका और दक्षिण पूर्वी एशिया में कम एवं मध्यम आय वाले देशों में हुईं। रिपोर्ट में कहा गया कि दुर्घटनाओं में लगने वाली चोट, श्वसन संक्रमण और आत्महत्याएं किशोरों में मौत के सबसे बड़े कारण हैं।
इसमें कहा गया कि किशोरों को दशकों तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाओं से पूरी तरह अलग रखा गया। डब्ल्यूएचओ के सहायक महानिदेशक फ्लाविया बुस्त्रिओ ने कहा, किशोरों पर केंद्रित अपेक्षाकृत छोटे निवेश से न सिर्फ स्वस्थ एवं सशक्त वयस्क मिलेंगे, बल्कि इसका परिणाम भविष्य की स्वस्थ पीढ़ियों के रूप में भी निकलेगा।