किसानों की ये मांगे, आखिर क्यों नही मान रही बीजेपी सरकार…
June 7, 2017
भोपाल, मध्य प्रदेश मे किसान 01 जून से हड़ताल पर हैं. किसानों की हड़ताल के छठे दिन, पुलिस फायरिंग की वजह से हालात बिगड़ गए हैं. पुलिस फायरिंग में 6 लोग मारे गए हैं. घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई और मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. मारे गए लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है.
हालात बेकाबू देख मंदसौर शहर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है। अफवाहों को रोकने के लिए जिले में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि गोलियां पुलिस ने नहीं चलाई, बल्कि असामाजिक तत्वों और षड्यंत्रकारियों ने चलाई.
किसान 01 जून से निम्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे. उन्होने 10 जून तक आंदोलन चलाने का एेलान किया है. आखिर एेसी क्या मजबूरी है कि बीजेपी सरकार, किसानों की ये मांगे, आखिर क्यों नही मान रही –
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की जाएं। देश की सभी कृषि उपज मंडियों में भारत सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से नीचे फसलों की बिक्री न की जाए।
आलू, प्याज सहित सभी प्रकार की फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया जाए। आलू, प्याज की कीमत 1500 रुपये प्रति क्वंटल हो।
सभी किसानों के कृषि ऋण माफ किए जाएं।
भारत सरकार के भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को यथावत रखा जाए। अधिनियम के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्र में गाइडलाइन का चार गुना और शहरी क्षेत्र में दो गुना मुआवजा दिया जाए।
महंगाई को देखते हुए मध्यप्रदेश में दूध उत्पादक किसानों को 52 रुपये प्रति लीटर दूध का भाव तय हो और भाव तय करने का अधिकार किसानों को मिले।
दूध, दूध पाउडर और अन्य उत्पादों पर निर्यात सब्सिडी पुन: शुरू की जाए।
फसलीय कृषि ऋण की सीमा 10 लाख रुपए की जाए। वसूली की समय-सीमा नवंबर और मई की जाए।
भारत में डॉलर काबुली चना सिर्फ मध्यप्रदेश में ही पैदा होता है। उसका बीज प्रमाणित कर समर्थन मूल्य घोषित किया जाए। इससे भारत सरकार को विदेशी मुद्रा अर्जित होती है।
खाद, बीज और कीटनाशकों की कीमतों को नियंत्रित किया जाए।
एक जून से शुरू किसानों के असहयोग आंदोलन में गिरफ्तार सभी किसानों को बिना शर्त रिहा किया जाए।