गोरखपुर, पाँच सौ और हजार के नोटों के बंद होने के आठवें रोज भी ग्राहकों की दुश्वारियां कम नहीं हुईं। ये दुश्वारियां बैंक मैनेजर्स की हठधर्मिता और असहयोगी भावना की वजह से बढ़ती जा रही हैं। हालात यह है कि गोरखपुर मंडल के कई शाखाओं पर नोट बदलने की मनाही कर दी गयी है। कई और दूसरे बैंको के ग्राहकों से किसी भी प्रकार के सहयोग को रोक दिया गया है। इनसे लोग काफी दिक्कत में हैं। नोटों के प्रचलन से बाहर होने के बाद से ही लोग अपनी पास रखे गए बड़े नोटों को लेकर चिंता में हैं। छोटे-बड़े दुकानदारों के न लेने से लोगों की दुश्वारियां बढ़ती जा रहीं हैं। पेट्रोल पम्पों, सरकारी बसों और हॉस्पिटल्स में फुटकर पैसा न आने से इन स्थानों पर भी अब एक तरह से नोटों का प्रचलन बंद ही हो गया है। ऐसे में लोगों के सामने सिर्फ बैंक ही दिख रहे हैं, जहाँ इन्हें राहत मिल सकती है। लेकिन कुछ बैंक शाखाओं के मैनेजर्स की हठधर्मिता और असहयोगी रुख ने लोगों की आशा पर पानी फेरना शुरू कर दिया है। कुछ शाखाओं में ग्राहकों को सही जानकारी नहीं दी जा रही है तो कुछ में धन की कमी का हवाला देकर नोटों को बदलने से मन किया जा रहा है। गोरखपुर जिले के सहजनवा स्थित पूर्वांचल ग्रामीण बैंक में कर्मचारी ग्राहकों से सीधे मुंह बात नहीं कर रहे हैं। शिकायत करने पर बैंक मैनेजर भी ग्राहकों का सहयोग कर पाने में खुद को असमर्थ बता रहे हैं। वे न तो ग्राहकों को यह बता रहे हैं कि धन की कमी है और न ही कोई अन्य समस्या ही बता रहे हैं। जिनकी हठधर्मिता और असहयोगी रुख ने ग्राहकों को संशय में रखा है और बैन शाखा के बाहर लंबी कतार लगी है। उहापोह की वजह से ग्राहक न तो दूसरे बैंकों की ओर रुख कर पा रहे हैं और न ही उन्हें धन निकासी के प्रति पूरी तसल्ली ही हो रही है। गोरखपुर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने नोट बदलने से इनकार कर दिया है। ग्राहक अब यहाँ से लौटने लगे हैं। बैंक मैनेजर ने अन्य बैंक के ग्राहकों को यह कहकर लौटा दिया कि पहले आने खाताधारकों को ही धन देंगे। अगर बचेगा, तो अन्य बैंकांे के खाताधारकों के बारे में सोचा जायेगा। बैंक प्रशासन ने 5000 से अधिक की धनराशि के निकासी पर पाबन्दी लगा रखी है। नोट बदलने से सबको मना कर दिया है।