अहमदाबाद, देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के वकील ने गुजरात उच्च न्यायालय को बताया कि उनका मुवक्किल अदालत द्वारा रखी गई सभी अन्य शर्तों को स्वीकार करने के लिए तैयार है लेकिन वह आरक्षण आंदोलन से दूर रहने पर सहमत नहीं है। उन्होंने हार्दिक की तरफ से कहा, हमारा मुख्य ध्यान यह है कि हमारा आंदोलन जारी रहना चाहिए। हम लोकतांत्रिक तरीके से अनुमति वाले किसी भी तरीके से आंदोलन को जारी रखेंगे। प्रस्तावित शपथपत्र में कहा गया कि आवेदक आपराधिक अभियोजन को आमंत्रित करने वाले किसी भी अपराध से जुड़े किसी भी क्रियाकलाप में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल हुए बगैर पाटीदार समुदाय की चिंताओं को रखने का काम करता रहेगा। इसमें कहा गया कि आवेदक शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन जारी रखेगा और राज्य में कानून व्यवस्था को प्रभावित करने वाले किसी कृत्य में शामिल नहीं होगा तथा माननीय अदालत द्वारा लगाई गई सभी शर्तों का पालन करेगा।
देशद्रोह के दो अलग अलग मामलों में आरोपी हार्दिक ने सूरत तथा अहमदाबाद की निचली अदालतों द्वारा याचिकाएं खारिज होने के बाद जमानत के लिए उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी।
वकील ने अदालत से कहा कि अगर उनके मुवक्किल को जमानत दी जाती है तो वह शपथपत्र देकर यह लिखित में देने को तैयार है कि वह कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकने वाली गतिविधियों से दूर रहेगा। लोक अभियोजक मितेश अमीन ने उच्च न्यायालय को बताया कि वह प्रस्तावित शपथपत्र पर फैसले से पहले राज्य सरकार से निर्देश प्राप्त करेंगे। इसके बाद न्यायमूर्ति एजे देसाई ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए कल की तारीख तय की।
हार्दिक के वकील जुबिन भारदा ने न्यायमूर्ति देसाई और लोक अभियोजक को प्रस्तावित शपथपत्र की एक प्रति दी। वकील ने अदालत से कहा कि उनका मुवक्किल अदालत द्वारा रखी गई सभी अन्य शर्तों को स्वीकार करने के लिए तैयार है लेकिन वह आरक्षण आंदोलन से दूर रहने पर सहमत नहीं है। उन्होंने हार्दिक की तरफ से कहा, हमारा मुख्य ध्यान यह है कि हमारा आंदोलन जारी रहना चाहिए। हम लोकतांत्रिक तरीके से अनुमति वाले किसी भी तरीके से आंदोलन को जारी रखेंगे। प्रस्तावित शपथपत्र में कहा गया कि आवेदक आपराधिक अभियोजन को आमंत्रित करने वाले किसी भी अपराध से जुड़े किसी भी क्रियाकलाप में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल हुए बगैर पाटीदार समुदाय की चिंताओं को रखने का काम करता रहेगा। इसमें कहा गया कि आवेदक शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन जारी रखेगा और राज्य में कानून व्यवस्था को प्रभावित करने वाले किसी कृत्य में शामिल नहीं होगा तथा माननीय अदालत द्वारा लगाई गई सभी शर्तों का पालन करेगा। देशद्रोह के दो अलग अलग मामलों में आरोपी हार्दिक ने सूरत तथा अहमदाबाद की निचली अदालतों द्वारा याचिकाएं खारिज होने के बाद जमानत के लिए उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी।