कुंभ एक अद्भुत सामाजिक संरचना थी, मगर धीरे-धीरे इसका रूप िबगड गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
May 15, 2016
उज्जैन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में अन्न का संकट होने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के आह्वान पर बड़ी संख्या में लोगों ने सप्ताह में एक वक्त का खाना छोड़ दिया था, इसी तरह उनके आह्वान पर एक करोड़ लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी है। मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के दौरान निनौरा में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय विचार कुंभ के समापन अवसर पर मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना की मौजूदगी में सार्वभौम अमृत संदेश (विचार कुंभ का घोषणापत्र) जारी किया और निष्कर्षो को अमृतबिंदु नाम दिया। उन्होंने कहा कि समाज के लिए निःस्वार्थ भाव से काम करने वाले संत, वैज्ञानिक, किसान, मजदूर और नागरिक एक दिशा में चलकर बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। ये अमृतबिंदु भारत और वैश्विक जन-समूह को आने वाले समय में दिशा देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे यहां दूसरों के लिए त्याग को आनंद से जोड़ा गया है। हम उस संस्कार सरिता से निकले हुए लोग हैं, जहां भिक्षु भी भिक्षा देने वाले और न देने वाले दोनों का भला हो कहता है। यह उस संस्कार परंपरा का परिणाम है, इसमें सबके कल्याण का भाव है। यह भाव हमारी रगों में भरा पड़ा है। उन्होंने याद दिलाया कि देश में अनाज के संकट के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने देश से सप्ताह में एक दिन उपवास रखने का आग्रह किया था और जनता ने उसे करके दिखाया था। मोदी ने कहा, ऐसा ही एक विषय मैंने जनता के सामने रखा कि संपन्न लोग रसोई गैस की सब्सिडी छोड़ दें और देश के एक करोड़ से ज्यादा परिवारों ने सब्सिडी छोड़ दी। इससे अगले तीन साल में पांच करोड़ गरीब परिवारों को धुएं वाले चूल्हे से मुक्ति मिलेगी और जंगल बचेंगे। कुंभ को नागा साधु का मेला बनाने की पहचान पर प्रधानमंत्री ने तल्ख टिप्पणी की और कहा कि कुंभ की एक ही पहचान बना दी गई है-नागा साधु, यह सब इसलिए हुआ है क्योंकि हमने अपनी ब्रांडिंग ठीक तरह से नहीं की। उन्होंने कहा, दुनिया के लोग हमें अनऑर्गनाइज्ड (असंगठित) कहते हैं, क्योंकि दुनिया के सामने हमें अपनी बात सही तरीके से रखने की आदत नहीं रही..हमें भारत को वैश्विक रूप में प्रदर्शित करने के लिए विश्व जिस भाषा को समझता है, उस भाषा में समझाने की जरूरत है। मोदी ने कहा कि आदिकाल से चले आ रहे कुंभ के समय और कालखंड को लेकर अलग-अलग मत हैं, लेकिन इतना तय है कि यह मानव की सांस्कृतिक यात्रा की पुरातन व्यवस्था में से एक है। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं अपने तरह से जब सोचता हूं तो लगता है, इस विशाल भारत को अपने में समेटने का प्रयास कुंभ मेले के द्वारा होता था। तर्क और अनुमान के आधार पर कहा जा सकता है कि समाज की चिंता करने वाले मनीषी 12 वर्ष में एक बार प्रयाग में कुंभ के मौके पर इकट्ठा होते थे, विचार-विमर्श करते थे और बीते वर्ष की सामाजिक स्थिति का अध्ययन करते थे। इसके साथ ही समाज के लिए अगले 12 वर्षो की दिशा क्या होगी, इसे तय करते थे। उन्होंने आगे कहा कि प्रयाग से अपने-अपने स्थान पर जाकर संत महात्मा तय एजेंडे पर काम करने लगते थे। इतना ही नहीं, तीन वर्ष उज्जैन, नासिक और इलाहाबाद में होने वाले कुंभ में जब वे इकट्ठा होते थे, तब उनके बीच इस बात पर विमर्श होता था कि प्रयाग में जो तय हुआ था, उस दिशा में क्या हुआ। फिर उसके बाद आगामी तीन वर्ष का एजेंडा तय होता था। मोदी ने कहा कि यह एक अद्भुत सामाजिक संरचना थी, मगर धीरे-धीरे इसका रूप बदला। अनुभव यह है कि परंपरा तो रह जाती है, मगर प्राण खो जाते हैं। कुंभ के साथ भी यही हुआ, अब कुंभ सिर्फ डुबकी लगाने, पाप धोने और पुण्य कमाने तक सीमित रह गया है। प्रधानमंत्री ने विचार कुंभ के समापन मौके पर मौजूद साधु-संतों और अखाड़ों के प्रमुख से आह्वान किया कि मंथन से जो 51 अमृतबिंदु निकले हैं, उन पर सभी परंपराओं के अंदर रहकर प्रतिवर्ष एक सप्ताह का विचार कुंभ अपने भक्तों के बीच करने पर विचार जरूर करें। उन्होंने कहा कि मोक्ष की बातें तो करें, मगर एक सप्ताह ऐसा हो जिसमें धरती की सच्चाई पर चर्चा हो, उसमें यह बताया जाए कि पेड़ क्यों लगाना चाहिए, बेटी को क्यों पढ़ाना चाहिए, धरती को स्वच्छ क्यों रखना चाहिए, नारी का सम्मान क्यों करना चाहिए। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने विचार कुंभ में आमंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंध हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध और उनसे जुड़े विषयों पर दोनों देशों के बीच गहरी समझ है। इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी विशेष विमान से इंदौर पहुंचे, हवाईअड्डे पर मुख्यमंत्री शिवराज ने उनकी अगवानी की। मोदी यहां से श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरिसेना के साथ उज्जैन के निनोरा के लिए रवाना हुए। निनोरा में हुए विचार कुंभ की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने की। मंच पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, थावरचंद गहलोत और मेजबान मुख्यमंत्री शिवराज भी उपस्थित रहे।