मेलबर्न, ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने क्रांतिकारी सफलता हासिल करते हुए कृत्रिम रीढ़ विकसित की है। इसकी सहायता से लकवाग्रस्त व्यक्ति भी चलने-फिरने में सक्षम हो सकेगा।
वैज्ञानिकों ने बताया कि पेपर क्लिप के आकार का यह खास उपकरण रीढ़ की चोट से जूझ रहे लोगों को कृत्रिम अंगों को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने की क्षमता देगा। इसकी सहायता से कृत्रिम अंगों को सिर्फ सोचने भर से ही नियंत्रित किया जा सकेगा। एक शोधकर्ता निकोलस ने कहा, जिस तरह से कोचलियर (कान के अंदरूनी हिस्से) प्रत्यारोपण ने न सुन सकने वालों की दुनिया बदल दी, ऐसे ही हम न चल सकने वालों की दुनिया बदलना चाहते हैं। उपकरण का पहला मानव परीक्षण अगले साल किया जाएगा। इस छोटे उपकरण को दिमाग के मोटर कोर्टेक्स हिस्से के ऊपर लगाया जाता है। यही हिस्सा मांसपेशियों की गति को नियंत्रित करता है। इसे कैथेटर के जरिये मोटर कॉर्टेक्स से जोड़ा जाता है, इसलिए सिर का ऑपरेशन करने की जरूरत नहीं होती।