नयी दिल्ली, केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े द्वारा दिये गये संविधान विरोधी बयान के विरोध में लोकसभा में आज कांग्रेस के सदस्यों ने नारेबाजी की । इसके कारण सदन की बैठक शुरू होने के कुछ ही समय बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। हालांकि भाजपा अब इससे पल्ला झाड़ रही है। तो क्या ये भी भाजपा का प्रयोग है ?
केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्यमंत्री हेगड़े ने सोमवार को कहा था कि भाजपा ‘संविधान बदलने के लिए’ सत्ता में आई है। कोप्पल जिले के कुकनूर में एक कार्यक्रम के दौरान हेगड़े ने कहा था, “लोग धर्मनिरपेक्ष शब्द से इसलिए सहमत हैं, क्योंकि यह संविधान में लिखा है। इसे (संविधान) बहुत पहले बदल दिया जाना चाहिए था और अब हम इसे बदलने जा रहे हैं।”
उन्होंने कहा था, “जो लोग खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, वे बिना माता-पिता से जन्मे की तरह हैं.” 49 वर्षीय केंद्रीय मंत्री ने कहा था, “अगर कोई कहता है कि मैं मुस्लिम, ईसाई, लिंगायत, ब्राह्मण या हिंदू हैं तो मुझे खुशी महसूस होती है, क्योंकि वे अपनी जड़ों को जानते हैं। जो खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, मैं नहीं जानता उन्हें क्या कहा जाए।”
मंत्री पद की शपथ लेते समय संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखने की शपथ खाने वाले मंत्री के बिगड़े बोल को ‘अपमानजनक’ बताते हुए कांग्रेस की राज्य इकाई ने कहा कि भाजपा अब उन विचारों की निंदा करने लगी है, जिन पर संविधान आधारित है। कांग्रेस के सदस्यों ने प्रश्नकाल शुरू होते ही आसन के समीप आकर हेगड़े के बयान के विरोध में नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्षी सांसद ‘मंत्री को बर्खास्त करो’ के नारे लगा रहे थे। राजद के जयप्रकाश नारायण यादव भी कांग्रेस सदस्यों के साथ नारेबाजी में शामिल थे।
अगर सचमुच ये भाजपा का एक प्रयोग है तो निश्चित है कि इसके परिणाम सही नही होंगे। भाजपा और आरएसएस को लेकर पहले से ही दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के मन मे ये धारणा है कि भाजपा संविधान को समाप्त करना चाहती है और मनुस्मृति को लागू करवाना चाहती है।