नई दिल्ली, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेटर लिखकर अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या और सबऑर्डिनेट जूडिशरी में बढ़ती वेकंसी पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने इसके साथ ही जूडिशल वेकंसीज को तुरंत भरने के लिए सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर लागू करने के लिए जरूरी सपोर्ट मांगा है।
प्रसाद ने लेटर में लिखा, मुझे पता चला है कि देशभर में जून 2006 तक सबऑर्डिनेट कोर्ट्स और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स में लगभग 4937 वेकंसी थीं। मैंने हाई कोर्ट्स के चीफ जस्टिस को लेटर लिखकर लंबित मामलों की संख्या घटाने और हाई कोर्ट/स्टेट जूरिस्डिक्शन में खाली पदों को भरकर मामलों के निपटारे में तेजी लाने की जरूरत पर उनका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है। निचली अदालतों में 2.7 करोड़ और हाई कोर्ट में 38.7 लाख मामले लंबित हैं। देश में इतनी बड़ी संख्या में लंबित मामलों को देखकर हमें बहुत फिक्र हो रही है।
प्रसाद ने अपने लेटर में राज्य सरकारों और हाई कोर्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 2 जनवरी को जारी डायरेक्शन पर ध्यान खींचा, जिसमें तीन महीने के भीतर नैशनल कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम (एनसीएमएस) की रिपोर्ट के हिसाब से जजों की संख्या का पता लगाने और उसमें बढ़ोतरी के लिए जरूरी कदम के बारे में तीन महीने के भीतर सुझाव देने के लिए कहा गया था। लॉ कमीशन ऑफ इंडिया ने जूडिशरी की मौजूदा हालत में सुधार लाने के लिए अपनी 245वीं रिपोर्ट में कुछ उपाय बताए थे। एनसीएमएस कमिटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में स्थानीय माहौल के हिसाब से मामलों की प्रकृति और उनकी जटिलता के हिसाब से वेटेड डिस्पोजल अप्रोच लगाने का प्रस्ताव दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया था कि वह राज्य सरकारों और हाई कोर्ट्स को एनसीएमएस कमिटी की रिपोर्ट की कॉपी फॉरवर्ड करे, ताकि वह उन पर फॉलोअप ऐक्शन ले सकें। लॉ मिनिस्ट्री के तहत आनेवाले डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने 27 जनवरी को सभी राज्य सरकारों को रिपोर्ट फॉरवर्ड कर दी थी।
प्रसाद ने मुख्यमंत्रियों को भेजे लेटर में लिखा है, अगर आप हाई कोर्ट को उनकी कोशिशों में जरूरी सपोर्ट दें, सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का तीव्र गति से कार्यान्वयन सुनिश्चित कराने की कोशिश करें और उसके स्टेटस के बारे में मेरी मिनिस्ट्री को बताएं तो मैं आपका आभारी रहूंगा।