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पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि रेलवे प्रशासन की बदइंतजामी और निष्क्रियता के चलते शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक बड़ा हादसा हुआ। इस हादसे में महाकुंभ स्नान करने जा रहे श्रद्धालु और लोग अपने अन्य कामों के लिए जा रहे थे। इस हादसे में मृतकों की सही संख्या अब तक सामने नहीं आई है, जहां कुछ लोग इसे 15 बता रहे हैं, वहीं कुछ 18 का आंकड़ा बता रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि असल संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। सरकार की निष्क्रियता और लापरवाही के चलते ऐसी घटनाएं बार-बार होती हैं, लेकिन सरकार सबसे पहले उन्हें दबाने का काम करती है। मृतकों और घायलों के प्रति कोई संवेदना नहीं दिखाई जाती, उल्टे पत्रकारों के मोबाइल तोड़े जाते हैं ताकि वह घटना की सच्चाई को कैमरे में कैद न कर सकें।
उन्होंने कहा कि सरकार पहले घटना को नकारती है कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है, सब अफवाह और झूठ है। फिर जब मृतकों के शव सामने आ जाते हैं तो ये मना नहीं कर पाते और मजबूरी में उसे स्वीकारते हैं, फिर उस पर लीपापोती शुरू की जाती है। इस देश में यह सब कब तक चलेगा? कितनी दुर्घटनाओं के बाद देश के रेल मंत्री और केंद्र सरकार की जवाबदेही तय होगी?
आप नेता ने कहा कि शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से जो वीडियो आई वह बहुत हैरान करने वाली है। रेलवे प्लेटफॉर्म पर हजारों की संख्या में लोग दिख रहे हैं। पूरा प्लेटफॉर्म भरा हुआ है लेकिन उस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कहीं भी रेलवे प्रशासन नहीं दिख रहा है। अचानक भगदड़ हो गई। लोगों की जान चली गई लेकिन रेल मंत्री पूरी घटना से इनकार कर रहे हैं कि कुछ नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा लगता है कि क्या मरना एक आम आदमी की नियति बन गई है? कभी नोटबंदी के बाद लाइनों में खड़े होकर मरना है, कभी कोरोना की महामारी में मरना है, कभी महाकुंभ में मरना है या कभी ट्रेन तो कभी सड़क दुर्घटना में मरना है। कभी रोजगार मांगने पर मरना है, कभी फसल का सही दाम मांगने पर मरना है, कभी फ्लाईओवर और पुल के टूटने पर मरना है। ऐसा लगता है जैसे मरना हमारी नियति बन गई है और सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह तो संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
उन्होंने कहा, “ जो लोग इस घटना में मारे गए हैं, मैं आम आदमी पार्टी की ओर से गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनके परिवारजनों को यह अपार कष्ट सहने की शक्ति दे।”