लखनऊ, कार्य में गुणवत्ता, नैतिकता पर अमल, मरीजों और उसके परिवार से मधुर संवाद, समय की पाबंदी, अनुशासन और कम लागत जैसे महत्वपूर्ण तथ्यों को ध्यान में रखना ही एक सफल न्यूरो सर्जन की निशानी है, उपरोक्त गुणों को आत्मसात करके ही जिंदगी में आगे बढ़ा जा सकता है। उक्त उदगार लखनऊ स्थित केजीएमयू के एल्म्यूनाई प्रोफेसर डॉ. एम.के. तिवारी ने न्यूरोसर्जरी विभाग के 57 वें स्थापना दिवस समारोह और एल्म्यूनाई मीट के अवसर पर व्यक्त किये।
इस मौके पर न्यूरो सर्जरी के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. बी.के. ओझा ने बताया कि यह विभाग प्रो. डॉ. पी.एन. टंडन के अथक प्रयासों से 1961 में खोला गया था। जिसे प्रो. डॉ. जी.वी. न्यूटन और प्रो. डॉ. वी.एस. दवे ने शीर्ष पर पहुंचाया। डॉ. ओझा ने बताया कि यहां पर 31अक्टूबर 2017 तक 1131 मरीजों का सफल न्यूरो सर्जिकल ऑपरेशन किया जा चुका है। जिसमें 22325 बाह्य मरीजों को और 3932 भर्ती मरीजों को इलाज मुहैया कराया गया।
डॉ. बी.के. ओझा ने बताया कि सीमित संसाधनों के बावजूद विभाग ने अपनी एक अलग पहचान बनायी है। यहां पर जहां गरीब मरीजों को आधुनिक सुविधाओं के माध्यम से बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है, वहीं कई बीमार निराश्रित मरीजों को ठीक करके उनके घर के पते खोज कर उन्हें अपने परिवारों से मिलाया भी गया है। विभाग के अध्यक्ष ने मानव सेवा परमो धरम् का अनुसरण करते हुए विभाग को नई ऊचाईयों तक पहुंचाया है।
डॉ. ओझा ने विभाग में दिनोंदिन बढ़ रही मरीजों की संख्या को देखते हुए केजीएमयू प्रशासन से मांग की कि यहां सीनियर रेज़ीडेंट्स की संख्या चार से बढ़ाकर आठ की जाये, भर्ती मरीजों के लिए वेंटीलेटर के साथ आईसीयू में 15 बेड और स्टाफ की बढ़ोत्तरी की जाये, ट्रामा सेंटर में न्यूरो ट्रामा मरीजों के लिए एक अतिरिक्त ऑपरेशन थियेटर की व्यवस्था की जाये। इसके साथ विभाग की बेहतरी के लिए कई अन्य मांगे भी रखी गयी।
स्थापना दिवस कार्यक्रम में डॉ. ओझा के साथ विभाग के प्रो. डॉ. अशोक चंद्रा, प्रो. डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव, देश के अनेक विख्न्यात डॉक्टर्यस, सर्जन्स और रेज़ीडेंट्स एवं फैकल्टी मेम्बर्स, स्टाफ मौजूद रहा।