नैनीताल , हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ कस्तूरी मृग अभ्यारण्य का मामला उत्तराखंड उच्च न्यायालय पहुंच गया है। न्यायालय ने इस मामले में केन्द्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले को संघर्ष समिति वन पंचायत ग्राम मक्खू मठ की ओर से एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से केदारनाथ कस्तूरी मृग अभ्यारण्य में प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के मुख्य मंदिर को छोड़कर अन्य मंदिरों को शामिल करने के मामले को चुनौती दी गयी है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार ने दिसंबर 2017 में चमोली जिले में कस्तूरी मृग अभ्यारण्य को हरी झंडी दी थी। अभ्यारण्य की सीमा में केदारनाथ मंदिर को छोड़कर उसके शेष मंदिरों को शामिल कर लिया गया है। इसमें केदारनाथ मंदिर के सहायक मंदिरों तुंगनाथए मदमहेश्वरए अनुसूया मंदिरए दक्षकाली एवं शंकराचार्य की समाधि को भी शामिल किया गया है। यही नहीं भारत.चीन युद्ध के समय में बनी सड़क को भी अभ्यारण्य की सीमा में शामिल किया गया है। अधिवक्ता ने यह भी कहा कि इस अभ्यारण्य की सीमा में चार वन पंचायतों के अलावा छह से अधिक राजस्व ग्रामों को भी शामिल किया गया है। इससे ग्रामीणों के व्यापक हित प्रभावित हो रहे हैं।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एंव न्यायामूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ में हुई। श्री सिंह ने कहा कि पीठ ने इस मामले केन्द्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि केदारनाथ कस्तूरी मृग अभ्यारण्य चमोली और रूद्रप्रयाग जिले के बीच स्थित है। इसे केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य भी कहा जाता है। यह लगभग 975 किलोमीटर लंबे क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह समुद्र की सतह से 1160 मीटर से 7068 मीटर की ऊंचाई में स्थित है जो कि फाटा से हिमालय की चौखंभा चोटी के बीच स्थित है।