नयी दिल्ली , उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों में रिक्तियों पर आज चिंता व्यक्त की। न्यायालय ने केन्द्र और सात राज्यों को चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया है कि रिक्त पदों पर कितने समय के भीतर नियुक्तियां हो जायेंगी।
न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि केन्द्रीय सूचना आयोग में इस समय चार पद रिक्त हैं और दिसंबर तक चार अन्य रिक्त हो जायेंगे। पीठ ने केन्द्र से जानना चाहा कि 2016 में विज्ञापन देने के बावजूद केन्द्रीय सूचना आयोग में पद अभी तक रिक्त क्यों हैं। केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि केन्द्रीय सूचना आयोग में चार पदों पर नियुक्तियों के लिये विज्ञापन जारी किया गया है क्योंकि 2016 के विज्ञापन के बाद इन पदों पर नियुक्तियां नहीं की गयी थीं। इस पर पीठ ने आनंद से कहा कि 2016 में विज्ञापन के बावजूद इन पदों पर नियुक्तियां नहीं होने के कारणों के साथ हलफनामा दाखिल किया जाये।
राज्य सूचना आयोगों में भी लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुये पीठ ने महाराष्ट्र , आंध्र प्रदेश , ओडिशा , तेलंगाना , गुजरात , केरल और कर्नाटक को हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया। इन हलफनामों में रिक्त पदों पर नियुक्तियों का कार्यक्रम भी देना होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि केन्द्र या राज्यों द्वारा चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल नहीं किये जाने को गंभीरता से लिया जायेगा आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि केन्द्र ने आज मामले की सुनवाई के दिन केन्द्रीय सूचना आयोग में चार रिक्त पदों पर नियुक्तियों के लिये विज्ञापन जारी किया है , इसी से उनके रवैये का पता चलता है।
उन्होंने कहा कि दिसंबर तक मुख्य सूचना आयुक्त , जो सेवानिवृत्त हो रहे है , सहित चार पद रिक्त् हो जायेंगे। इस पर पीठ ने कहा , ‘‘ परेशान मत हों , हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सारे रिक्त पदों पर नियुक्तियां हों। न्यायालय ने इस मामले को चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया और कहा कि इसके बाद किसी को भी हलफनामा दाखिल करने के लिये अतिरिक्त वक्त नहीं दिया जायेगा। आरटीआई कार्यकर्ता भारद्वाज , कमोडोर लोकेश बत्रा और अमृता जौहरी ने याचिका में दावा किया है कि केन्द्रीय सूचना आयोग में 23,500 से अधिक अपील तथा शिकायतें लंबित हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि आंध्र प्रदेश का राज्य सूचना आयोग तो पूरी तरह ठप है क्योंकि वहां एक भी सूचना आयुक्त की नियुक्ति नहीं हुयी है जबकि पश्चिम बंगाल राज्य सूचना आयोग में दो सूचना आयुक्त ही हैं जो दस साल पहले दायर अपील और शिकायतों पर सुनवाई कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य सूचना आयोग मुख्य सूचना आयुक्त के बगैर ही काम कर रहे हैं। याचिका में दावा किया गया है कि केन्द्र और राज्य सरकारें केन्द्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों में समय पर आयुक्तों की नियुक्तियां नहीं करके सूचना के अधिकार कानून को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं।