नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने आज केंद्र सरकार से कहा कि वह पूरे देश में वरिष्ठ नागरिकों और वृद्ध लोगों के हितों की रक्षा के लिए एक प्रभावी योजना काे लागू करने की दिशा में ध्यान दे ।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने डाण् अश्विनी कुमार की ओर से दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र से कहा कि वह वृद्ध और वयोवृद्ध लोगों के हितों की रक्षा के लिए योजनाओं को तैयार करने और पूरे देश में इसे प्रभावकारी ढंग से लागू करने के तरीके से न्यायालय को अवगत कराये। याचिका में दावा किया गया है कि वृद्ध और वयोवृद्ध लोगाें के लिए केंद्र ने अभी तक कुछ भी नहीं किया है।
शीर्ष अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए मई के पहले सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया।
श्री कुमार ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमामय जीवन जीने के अधिकार के तहत वयोवृद्ध लाेगों के हितों की रक्षा और उन्हें समुचित सुरक्षा प्रदान करने के लिए सीनियर सिटीजन समेकित कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करने के संबंध में निर्देश जारी करने की गुहार लगाई थी। उन्होंने इस संदर्भ में अनुच्छेद 41 का भी हवाला दिया था जिसमें राज्य पर वृद्ध लोगों का कल्याण सुनिश्चित करने का प्रावधान है। उन्होंने सरकारों से देश के प्रत्येक जिले में पर्याप्त संख्या में ष्एल्डर हाेम्सश् खोलने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।
श्री कुमार ने अपनी याचिका में केंद्र के अलावा सभी राज्यों को प्रतिवादी बनाया है।
याचिका में हेल्पेज इंडिया की आेर से देश के 12 प्रमुख शहरों में किए गए एक सर्वेक्षण का भी हवाला दिया गया है जिसके मुताबिक 60 प्रतिशत वृद्ध मौखिक रूप सेए 48 प्रतिशत शारीरिक रूप से और 35 प्रतिशत अार्थिक रूप से प्रताड़ित होते हैं। श्री कुमार की एक प्रमुख दलील है कि अभिभावकों और सीनियर सिटीजंस के कल्याण और रखरखाव अधिनियमए 2007 बनने के बावजूद यह प्रभावी नहीं है क्योंकि इसके अहम् प्रावधान लागू नहीं हैं।