केरल की 7.9 प्रतिशत महिलाएं हैं गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से प्रभावित

तिरुवनंतपुरम, केरल में लगभग 7.9 प्रतिशत महिलाएं गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से प्रभावित हैं और प्रारंभिक पहचान और मजबूत निवारक उपायों की तत्काल आवश्यकता है। यह खुलास हाल में हुए एक अध्ययन में हुआ था।

गौरतलब है कि आज यानी 17 नवंबर को विश्व गर्भाशय ग्रीवा कैंसर उन्मूलन दिवसहै। यह दिवस ग्रीवा कैंसर के प्रति जागरूकता और समय पर चिकित्सा के महत्व के लिए मनाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं में प्रमुख कैंसरों में से एक गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर मुख्य रूप से ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) संक्रमण के कारण होता है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रारंभिक निदान से उपचार के परिणामों में काफी सुधार होता है। हालांकि राज्य में महिलाओं में स्तन और थायरॉयड कैंसर भी आम हैं, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की मृत्यु दर अपेक्षाकृत अधिक है। विशेषज्ञ इसका कारण देरी से जांच और स्क्रीनिंग कार्यक्रमों में कम भागीदारी को मानते हैं, जिसके कारण अक्सर देर से पता चलता है और उपचार जटिल हो जाता है।

इस समस्या के समाधान के लिए केरल स्वास्थ्य विभाग ने चार फरवरी, 2024 को ‘आरोग्यम आनंदम – अक्तम अर्बुदम’ अभियान शुरू किया था, जिसका उद्देश्य सर्वाइकल कैंसर का शीघ्र पता लगाने और रोकथाम को बढ़ावा देना है। यह अभियान 20 लाख से अधिक लोगों तक पहुँच चुका है, और संदिग्ध मामलों वाली लगभग 30,000 महिलाओं को आगे के मूल्यांकन के लिए भेजा गया है। इनमें से 84 मामलों में कैंसर की पुष्टि हुई, जबकि 243 में कैंसर-पूर्व स्थितियों की पहचान की गई, जिनका इलाज घातक होने से पहले किया जा सकता था। टीकाकरण सबसे प्रभावी निवारक उपाय बना हुआ है। केरल ने कक्षा छह और 12 की स्कूली छात्राओं को लक्षित करते हुए बड़े पैमाने पर एचपीवी टीकाकरण अभियान शुरू किया है, जिसका पहला चरण चल रहा है, और सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने के राज्य के प्रयासों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होने की उम्मीद है।

राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने सभी महिलाओं से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित आस-पास के स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध कैंसर जांच सुविधाओं का नियमित रूप से उपयोग करने का आग्रह किया है

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