कैंसर से लड़ रहे तुषार ने, पाये 95 प्रतिशत अंक, लिखी पुस्तक
May 29, 2017
रांची, असामान्य परिस्थितियों में सफलता हासिल कर रांची के छात्र तुषार ऋषि ने मिसाल कायम कर दी है। पिछले तीन साल से बोन कैंसर से लड़ रहे, छात्र तुषार ऋषि ने सीबीएसई 12वीं की परीक्षा में साइंस स्ट्रीम 95 प्रतिशत अंक लाकर सबको चौंका दिया है। साथ ही हॉस्पिटल में इलाज के दौरान तुषार ने अपनी बीमारी और धैर्य के संघर्ष पर एक किताब लिखी।
तुषार को अंग्रेजी में 95, गणित में 93, फिजिक्स में 95, केमेस्ट्री में 92 और कंप्यूटर साइंस में 89 फीसदी अंक मिले हैं। लिटरेचर में रुचि होने के कारण उसने फाइन आर्ट्स (ऑप्शनल पेपर) में शत प्रतिशत (100) अंक हासिल किया। उन्हे इस बीमारी का पता साल 2014 में उस समय चला जब वह 10वीं की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। अचानक घुटने के पास दर्द उठा। मम्मी-पापा तत्काल उन्हें डॉक्टर के पास ले गए, तो जांच में बोन कैंसर निकला।
इसके बाद तो घर में निराशा के बादल छा गए। तुषार की मां ऋतु अग्रवाल बीआईटी, मेसरा के आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट में प्रोफेसर हैं और पिता शशि भूषण अग्रवाल कृषि विभाग में अधिकारी। बेटे की बीमारी से दोनों चिंतित जरूर हुए, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। तुषार को लेकर वे एम्स दिल्ली चले गए। वहां उनका इलाज शुरू हुआ। एक साल तक हॉस्पिटल की कस्टडी में रहे। वहां ऑपरेशन और कीमोथेरेपी चलती रही।
इलाज की वजह से तुषार 10वीं की परीक्षा नहीं दे सके। हालांकि जब भी समय मिलता थोड़ी पढ़ाई जरूर कर लेते थे। मम्मी-पापा भी ने भी काफी धैर्य से काम लिया और अपनी चिंता कभी भी बेटे के सामने नहीं प्रकट होने दी। हमेशा हौसला अफजाई करते रहे। स्वास्थ्य में सुधार हुआ, तो एक साल बाद 2015 में 10वीं की परीक्षा दी और 10 सीजीपीए लाकर दिखा दिया कि जिद के आगे बीमारी भी हार मान जाती है।
उसने आइआइटी मेंस भी क्वालिफाइ किया था, लेकिन एडवांस की परीक्षा नहीं दी। उसकी रुचि लिटरेचर में है। वह दिल्ली में दाखिला लेकर लिटरेचर में ग्रेजुएशन करना चाहता है। तुषार ने कहा कि वह आइआइटी एडवांस परीक्षा भी पास कर जाता, लेकिन उसे तो करियर साहित्य के क्षेत्र में बनाना है। वह नहीं चाहता था कि उसकी वजह से कोई छात्र वंचित हो.
बीमारी के दौरान तुषार ने अस्पताल में ही द पेशेंट-पेशेंट नामक पुस्तक लिखी। पुस्तक में उसने इलाज के समय के लम्हों का बखूबी जिक्र करते हुये कैंसर पीड़ितों को पुस्तक के माध्यम से हिम्मत न हारने की सलाह दी है. वेस्टलैंड प्रकाशक ने पुस्तक को प्रकाशित किया है।