यूपी में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीएसपी छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या को लेकर राजनीति मे अटकलों का बाजार गर्म है. बीएसपी छोड़ने के तुरंत बाद उनकी सपा में शामिल होने की चर्चा ने जोर पकड़ा. चर्चा यहां तक थी की मौर्य न सिर्फ समाजवादी पार्टी का दामन थामेंगे, बल्कि 27 जून को होने वाले अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल फेरबदल में मंत्री पद भी पा सकते हैं. जिस तरह अखिलेश यादव शिवपाल यादव से लेकर आजम खान ने उनकी तारीफ की, उससे इन अटकलों को और भी दम मिला. अखिलेश ने तो मौर्य के लिए यहां तक कहा कि वह अच्छे व्यक्ति हैं, लेकिन गलत पार्टी में हैं. लेकिन २४ घंटे मे ही यह चर्चा कमजोर पड़ गई. स्वामी प्रसाद मोर्य ने जिस तरह से समाजवादी पार्टी के खिलाफ बयानबाजी की, उससे यह तय हो गया कि वह साइकिल की सवारी करने से पहले हर तरह के विकल्प को टटोलना चाहते हैं. समाजवादी पार्टी पर सीधा हमला बोलते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि पिछले 4 वर्षों से उत्तर प्रदेश में जिस तरह अराजकता और गुंडाराज चल रहा है, उसे रोकने की जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी के नेताओं की है. स्वामी प्रसाद ने भाजपा को भी नही बख्शा. मौर्या ने यहां तक कहा कि चाहे समाजवादी पार्टी हो या भारतीय जनता पार्टी अपने लोगों पर लगाम लगाना और पार्टी में क्या चल रहा है, इसे देखना नेताओं की जिम्मेदारी है. स्वामी प्रसाद मोर्य ने बीएसपी छोड़ने के बाद जिस तरह से बयानबाजी की है उससे यह तय हो गया कि कोई भी निर्णय लेने से पहले वह हर तरह के विकल्प को टटोलना चाहते हैं. अपने लिए राजनीतिक विकल्प तलाशने में जुटे मौर्य फिलहाल दिल्ली पहुंच चुके हैं.
एक जुलाई को मौर्य ने लखनऊ में अपने समर्थकों की बैठक बुलाई है. इसे उनका शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है. यह निश्चित है कि एक जुलाई स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनैतिक भविष्य तय करेगा. मौर्य को लगता है कि जल्दबाजी में कदम उठाने से वह ठीक से मोल तोल नहीं कर पाएंगे. शक्ति प्रदर्शन शानदार रहा तो अच्छी तरह मोलतोल करके वह सपा या बीजेपी मे जा सकतें हैं. और अगर डील सही नही हुई तो वह अपनी पार्टी भी बना सकते हैं ताकि उनकी स्थिति मजबूत हो.अब सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि उन्हें कितना समर्थन मिलता है और एक जुलाई का शक्ति प्रदर्शन कितना सफल होता है.