गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना महामारी के वैश्विक संकट में पूरी दुनिया ने भारत की प्राचीन और परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों में से एक आयुर्वेद की महत्ता को स्वीकार किया है।
गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज आयुर्वेद कॉलेज में बीएएमएस प्रथम वर्ष के नवागत विद्यार्थियों के दीक्षा पाठ्यचर्या ‘ट्रांजिशनल करिकुलम’ समारोह के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुये श्री योगी ने वर्चुअल माध्यम से कहा कि आयुर्वेद के प्रति न केवल देश बल्कि दुनिया में अलग ही रुझान देखने को मिल रहा है। आयुर्वेद को बढ़ावा देकर मेडिकल टूरिज्म,रोजगार और औषधीय खेती की संभावनाओं को व्यापक फलक दिया जा सकता है। निर्यात और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सकता है। जरूरत इस बात की है “ हम इस अत्यंत प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति में निरंतर शोध और अनुसंधान की ओर अग्रसर रहें। दुनिया में आधुनिक चिकित्सा के आगे बढ़ने के क्रम में आयुर्वेद कहीं न कहीं अपेक्षित प्रगति नहीं कर सका पर जब कोरोना का संकट आया तो इसकी महत्ता को दुनियाभर में स्वीकार किया गया। कोरोना को हराने में आयुर्वेद सफल रहा है। इसके कारण विश्व में इसका स्थान बढ़ा है। ”
उन्होंने कहा कि पूर्व में हीन भावना के कारण आयुर्वेद की प्रगति बाधित हुई तो इसका खामियाजा समाज को भुगतना पड़ा। आज जब इसका स्थापित महत्व फिर दुनिया के सामने हैए हमें शोध व अनुसंधान के जरिये इसके आयाम को और विस्तृत करना होगा।