मुंबई, घरेलू शेयर बाजारों में गत सप्ताह रही गिरावट के बाद आने वाले सप्ताह में निवेशकों का रुख बहुत हद तक कोविड-19 के ग्राफ पर निर्भर करेगा।
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के बाद पिछले सप्ताह शेयर बाजार दबाव में आ गये। पाँच सप्ताह में पहली बार सेंसेक्स और निफ्टी में साप्ताहिक गिरावट देखने को मिली। घरेलू कारकों में महामारी का लगातार गिरता ग्राफ देश की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। यदि आने वाले सप्ताह में भी यह क्रम बना रहा तो निवेशक बाजार में पैसा लगा सकते हैं। साथ ही टीकाकरण की रफ्तार पर भी उनकी नजर रहेगी।
बीते सप्ताह पहले दो दिन बढ़त में रहने वाला बीएसई का सेंसेक्स फेड के बयान के बाद अगले दो दिन टूट गया। सप्ताहांत पर शुक्रवार को यह मामूली तेजी के साथ बंद हुआ। पूरे सप्ताह के दौरान 130.31 अंक यानी 0.25 प्रतिशत टूटकर यह 52,344.45 अंक पर बंद हुआ।
फेड के बयान में कहा गया है कि यदि मुद्रास्फीति दो प्रतिशत से अधिक होती है और श्रम बाजार में अपेक्षा के अनुरूप मजबूती आती है तो वर्ष 2023 तक ब्याज दरों में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है। इससे सोने-चाँदी में भारी गिरावट देखी गई। साथ ही अधिकतर शेयर बाजारों में भी बिकवाली शुरू हो गई।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी सोमवार और मंगलवार को नये रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ, लेकिन इसके बाद अगले तीन दिन इसमें गिरावट देखी गई। सप्ताह के दौरान यह 116 अंक यानी 0.73 फीसदी लुढ़ककर सप्ताहांत पर 15,683.35 अंक पर रहा।
मझौली और छोटी कंपनियों में मंगलवार को छोड़कर शेष चार दिन बिकवाली हावी रही। बीएसई का मिडकैप 689.62 अंक यानी 3.01 प्रतिशत की साप्ताहिक गिरावट के साथ शुक्रवार को 22,238.21 अंक पर और स्मॉलकैप 467.47 अंक यानी 1.86 प्रतिशत टूटकर 24,648.83 अंक पर आ गया।