क्या थीं मजबूरियां, जो रातभर पैदल चलकर सुबह घर पहुंचते थे राज कपूर!

raj-kapoor मुंबई,  हिंदी सिनेमा के शो-मैन कहे जाने वाले राज कपूर  ने हिंदी सिनेमा को कई सफल फिल्में दी हैं। राज कपूर के बारे में   जानिए उनके कुछ दिलचस्प बातेंः मशहूर फिल्म विश्लेषक जय प्रकाश चौकसे की किताब में राज कपूर की जिंदगी से जुड़े कई दिलचस्प पहलुओं का जिक्र किया गया है।

राज कपूर अपने पिता पृथ्वीराज कपूर से ता-उम्र प्रभावित रहे, लेकिन पृथ्वीराज से उनका कभी दोस्तों वाला रिश्ता नहीं रहा था। वो अपने पिता की बहुत आदर करते थे। राज कपूर कभी भी अपने पिता के सामने सिगरेट या शराब का सेवन नहीं करते थे। हर फिल्म की शुरुआत में वो पिता का आशीर्वाद जरूर लेते थे। पृथ्वी थिएटर में शो के बाद पृथ्वीराज के कमरे में दिग्गजों की महफिल लगती थी। राज कपूर एक कोने में बैठकर विद्वानों की बातें सुना करते थे।

पृथ्वीराज की बौद्धिक सभाएं बहुत देर तक चलती थीं। बाद में सबके जाने के बाद राज कपूर साफ-सफाई कराके आॅपेरा हाउस से मांटूगा की ओर जाते थे। उस दौर में मुंबई में रात को बस या ट्रेन नहीं मिलने पर राज कपूर पैदल ही घर की ओर निकल जाया करते थे और वह घर तड़के पहुंचते थे। वैसे राज कपूर का पैदल चलने का ये अंदाज उनकी कई फिल्मों में भी नजर आ चुका है।

आइकॉनिक सांग मेरा जूता है जापानी में राज साहब पैदल चलते ही नजर आए हैं। पृथ्वीराज कपूर कार में बैठकर जहां कहीं भी जाते थे, रास्ते में आने वाले सभी मंदिरों, मस्जिदों और गिरजाघरों के सामने अपना सिर झुकाते थे। राज साहब की यही आदत सभी कपूरों को विरासत में मिली है। राजकपूर की कॉटेज में सभी धर्मों के ग्रंथ रखे होते थे और वो सबको आदर देते थे।

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