नयी दिल्ली, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के गठबंधन को ‘नापाक, बेमेल और सत्ता स्वार्थ आधारित गठबंधन’ बताते हुए कहा कि सत्ता के लालच में बार-बार देश की एकता और सुरक्षा के साथ खेलने वाली पार्टियों ने एक बार फिर देश विरोधी वादे करके अपना चरित्र उजागर कर दिया है लेकिन जनता उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगी।
अमित शाह ने यहां कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जम्मू-कश्मीर चुनाव में अब्दुल्ला परिवार की ‘नेशनल कांफ्रेंस’ के साथ गठबंधन करके फिर से अपने मंसूबों को देश के सामने रखा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन में नेशनल कांफ्रेंस ने अपने घोषणापत्र में कई ऐसे वादे किये हैं जो न केवल देशविरोधी है बल्कि देश की एकता और अखंडता पर भी सीधा हमला है। भारतवर्ष की महान जनता कांग्रेस और नेशनल कान्फेंस के नापाक मंसूबों एवं देशविरोधी साजिशों को अच्छे तरीके से समझती और वह ऐसे मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देगी।
केंद्रीय मंत्री ने नेशनल कांफ्रेंस के घोषणा पत्र के वादों पर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी से 10 ज्वलंत सवाल पूछे। उन्होंने कांग्रेस से पहला प्रश्न सीधे-सीधे यह किया कि क्या कांग्रेस ‘नेशनल कांफ्रेंस’ के जम्मू-कश्मीर में फिर से ‘अलग झंडे’ के वादे का समर्थन करती है? नेशनल कान्फेंस के घोषणापत्र के पेज नंबर 27 में इस बात का जिक्र किया गया है कि जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस की सरकार बनने पर फिर से अलग झंडे को लाया जाएगा। कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए उन्होंने दूसरा प्रश्न ये पूछा कि क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को वापस लाकर जम्मू-कश्मीर को फिर से अशांति और आतंकवाद के युग में धकेलने के नेशनल कांफ्रेंस के निर्णय का समर्थन करती है?
उन्होंने कहा कि नेशनल कान्फेंस के घोषणापत्र के पृष्ठ संख्या 10 और 27 में इसकी मंशा जाहिर करती है। नेशनल कांफ्रेंस ने अपने घोषणापत्र में संसद के विचार को पलटते हुए धारा 370 और 35ए को फिर से लाने का वादा किया है और कांग्रेस ने नेशनल कांफ्रेंस की ऐसी घोषणा के बावजूद उससे गठबंधन किया है।
अमित शाह ने कांग्रेस से तीसरा प्रश्न किया कि क्या कांग्रेस कश्मीर के युवाओं के बदले पाकिस्तान के साथ वार्ता करके फिर से अलगाववाद को बढ़ावा देने का समर्थन करती है? नेशनल कान्फेंस के घोषणापत्र के पृष्ठ संख्या 10 पर ही ये वादा भी किया गया है। ये सर्वविदित है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और अलगाववाद ने जम्मू-कश्मीर को अशांत बनाए रखा लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस फिर से जम्मू-कश्मीर में आतंक और अलगाव के उसी दौर का समर्थन कर रही है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कांग्रेस पर चौथा सवाल ये दागा कि क्या कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी, पाकिस्तान के साथ ‘नियंत्रण रेखा पार व्यापार शुरू करने के नेशनल कांफ्रेंस के निर्णय से फिर से सीमापार से आतंकवाद और उसके इकोसिस्टम का पोषण करने का समर्थन करते हैं? नेशनल कांफ्रेंस ने अपने मेनिफेस्टो के पेज नंबर 23 पर इसका जिक्र किया है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कांग्रेस से पांचवां सवाल करते हुए पूछा कि क्या कांग्रेस आतंकवाद और पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल लोगों के परिजनों को फिर से सरकारी नौकरी में बहाल करके आतंकवाद, दहशतगर्दी और बंद के दौर को फिर से लाने का समर्थन करती है? नेशनल कांफ्रेंस ने अपने घोषणापत्र के पृष्ठ संख्या 11 पर ये कहा है। ये कार्य सीधे-सीधे राज्य में अलगाववाद को बढ़ावा देने वाला है। उन्होंने कहा कि धारा 370 और 35ए के उन्मूलन के बाद जम्मू-कश्मीर में देश का क़ानून लागू हुआ है और दलितों, पिछड़ों, गुज्जर, बकरवाल और पहाड़ियों को संवैधानिक अधिकार मिले हैं। इससे उनके जीवन स्तर में सुधार आया है। इसी संदर्भ में छठा सवाल करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कांग्रेस से पूछा कि कांग्रेस और नेशनल कान्फेंस के बेमेल गठबंधन से एक बार फिर कांग्रेस पार्टी का आरक्षण विरोधी चेहरा सामने आया है। क्या कांग्रेस दलितों, गुज्जर, बकरवाल और पहाड़ियों के आरक्षण को समाप्त कर फिर से उनके साथ अन्याय करने के नेशनल कांफ्रेंस के वादे के साथ है? नेशनल कांफ्रेंस ने अपने मेनिफेस्टो के पेज नंबर 22 पर अपनी ये मंशा जाहिर की है।
अमित शाह ने कांग्रेस पर सातवां सवाल दागते हुए पूछा कि क्या कांग्रेस चाहती है कि ‘शंकराचार्य पर्वत’ ‘तख़्त-ए-सुलिमान’ और ‘हरि पर्वत’ ‘कोह-ए-मारन’ के नाम से जाने जाएँ? यदि नेशनल कांफ्रेंस के घोषणापत्र को देखा जाय तो यही लगता है क्योंकि नेशनल कांफ्रेंस ने अपने घोषणापत्र के पेज नंबर 21 पर ये स्पष्ट कहा है। यह सर्वविदित है कि कांग्रेस, नेशनल कान्फेंस और पीडीपी की सरकारों में हुए भ्रष्टाचार ने जम्मू-कश्मीर को तबाह करके रख दिया था। इसी को संदर्भित करते हुए श्री शाह ने कांग्रेस से आठवाँ सवाल ये पूछा कि क्या कांग्रेस जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को एक बार फिर से भ्रष्टाचार की आग में झोंक कर पाकिस्तान समर्थित गिने चुने परिवारों के हाथों में सौपने का समर्थन करती है? नेशनल कांफ्रेंस का इरादा तो यही लगता है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस, नेशनल कान्फेंस और पीडीपी ने जम्मू और घाटी के बीच हमेशा भेदभाव किया और घाटी के लोगों को हमेशा भड़काया हालांकि जम्मू और घाटी की आवाम ने हर हमेशा इनके नापाक मंसूबों पर पानी फेरा है। इसी को लेकर कांग्रेस से नौवां सवाल करते हुए श्री शाह ने पूछा कि क्या कांग्रेस पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के जम्मू और घाटी के बीच भेदभाव की राजनीति का समर्थन करती है?
अंत में दसवां प्रश्न पूछते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि क्या कांग्रेस और राहुल गाँधी कश्मीर को स्वायत्तता देने की नेशनल कांफ्रेंस की विभाजनकारी सोच और नीतियों का समर्थन करते हैं? उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इन सभी दस सवालों का जवाब देना चाहिए।