एनीमिया एक आम, पर गंभीर समस्या है। सरकारी स्तर पर मुहिम चलाने के बावजूद इससे जुड़े आंकड़े परेशान करते हैं। दुनियाभर में करीब 2 अरब लोग इसके शिकार हैं, जिनमें से आधे से अधिक में इसका कारण आयरन की कमी है। शरीर में आयरन का बहुत कम होना ही एनीमिया है, जो कई रोगों का कारण बन जाता है। हालांकि जीवनशैली व खान-पान पर ध्यान देकर इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है, बता रही हैं शमीम खान एनीमिया कोई रोग नहीं है, पर एक लक्षण जरूर है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। आमतौर पर इसे गंभीर समस्या माना ही नहीं जाता। थकान, सिरदर्द, आलस, ऊर्जा की कमी आदि इसके लक्षणों को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है। यही वजह है कि कई बार बाहर से सेहतमंद दिखाई दे रहे लोगों में भी इसकी कमी देखने को मिलती है। माना जाता है कि लड़कियां व गर्भवती महिलाएं ही एनीमिया की शिकार होती हैं। हालांकि उनमें यह प्रतिशत अधिक है, पर बच्चों और पुरुषों में भी इसके पीड़ितों की एक बड़ी संख्या है। एनीमिया इस बात का संकेत है कि शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की संख्या में कमी है। शरीर की कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है, जिसे शरीर के विभिन्न भागों में लाल रक्त कोशिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन द्वारा पहुंचाया जाता है।
शरीर में आयरन कम होने से आरबीसी और हीमोग्लोबिन का निर्माण प्रभावित होता है। शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जो कार्बोहाइड्रेट और वसा को जलाकर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जरूरी है। आरबीसी की कमी तन और मन दोनों की कार्यप्रणाली पर असर डालती है। कितना घातक है एनीमिया: एनीमिया एक आम लक्षण है और इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है, पर समय रहते उपचार न होने पर यह जानलेवा हो सकता है। शरीर में आरबीसी कम होने पर पूरे शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए दिल को अधिक मात्रा में खून पंप करना पड़ता है। इससे दिल की धडकन बढ़ जाती है और एक गंभीर अवस्था लेफ्ट वेंट्रीक्युलर हाइपरट्रॉफी (एलवीएच) हो सकती है। दिल की मांसपेशियों का आकार बढ़ जाता है। हार्ट फेल व आरबीसी के जल्दी नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों में एनीमिया उनके शारीरिक व मानसिक विकास पर असर डालता है। हालत यह है पांच साल से कम उम्र के हर 4 में से 3 बच्चों में आयरन की कमी देखने को मिलती है। यही वजह है कि लड़कियों व गर्भवती महिलाओं में इसकी कमी दूर करने के लिए सरकार की ओर से खास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कई स्कूलों में आयरन की लाल गोलियां भी बांटी जाती हैं।
क्या हैं लक्षण…
- कमजोरी, थकान होना, एकाग्रता में कमी।
- दिल की धडकन का असामान्य हो जाना।
- सांस उखडना और चक्कर आना।
- तंत्रिका संबंधी गड़बड़ी, खासकर बच्चों में चिड़चिड़ापन बढना। गंभीर होकर यह अवसाद का रूप ले लेता है।
- छाती में दर्द, सिरदर्द या पैरों में दर्द होना।
- जीभ में जलन होना, मुंह और गला सूखना।
- मुंह के कोनों पर छाले हो जाना।
- बाल टूटना, त्वचा व नाखूनों का पीला पडना।
- मसूड़ों का पीला पडना।
- क्या हैं कारण…
अधिक खून बहना
- आहार में आयरनयुक्त चीजें कम लेना आंतों का आयरन ढंग से ग्रहण न कर पाना
- पीरियड्स में अधिक ब्लीभडग होना
- रक्त कोशिकाओं का अधिक मात्रा में नष्ट हो जाना
- लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में कमी आना
- फोलेट, विटामिन बी12 और विटामिन ए की कमी
- आनुवंशिक कारण…
संक्रमण या लंबी बीमारी के साथ किडनी रोग, डायबिटीज, हृदय रोग, गठिया रोग, कैंसर, अल्सर, बवासीर व हर्निया के पीड़ितों में भी इसकी आंशका बढ़ जाती है। महिलाएं होती हैं
अधिक शिकार:- गांवों में महिलाओं का सेहत के प्रति लापरवाही बरतना व पर्याप्त पोषण का अभाव इसके कारण हैं। बहुत अधिक डाइभटग करने वाली महिलाएं भी इसकी शिकार हो जाती हैं। संतुलित आहार नहीं लेने पर स्तनपान कराने वाली महिलाओं में भी इसकी आशंका बढ़ जाती है। एक स्वस्थ महिला के शरीर में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर 11-12 ग्राम/डीएल होता है। अगर यह स्तर 9-7 ग्राम/डीएल हो तो यह माइल्ड एनीमिया होता है, जो खानपान में बदलाव लाकर ठीक हो सकता है। यह स्तर 6-4 ग्राम/डीएल हो तो इसे सीवियर एनीमिया कहते हैं। इसका तुरंत उपचार जरूरी है। जिन्हें पीरियड्स के दौरान ब्लीभडग अधिक होती है या फिर वे महिलाएं जो मां बनने वाली हैं या मां बनना चाहती हैं, उन्हें डॉक्टर की सलाह अनुसार आयरन की मात्रा पर जरूर ध्यान देना चाहिए। यूं होता है उपचार:- एनीमिया का उपचार इसकी गंभीरता और कारणों पर निर्भर करता है। एनीमिया ठीक होने में छह से नौ महीने का समय लग जाता है। इसका कारण है कि शरीर एक समय में सीमित मात्रा में ही आयरन ले पाता है। अगर स्थिति अधिक गंभीर नहीं है तो भरपूर पोषक आहार से इसकी कमी दूर की जा सकती है। ऐसा आहार लें, जिसमें प्रोटीन, आयरन, विटामिन्स विशेषकर बी कॉम्प्लेक्स और सी भरपूर मात्रा में हों। एनीमिया गंभीर होने पर आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन बी12 के सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है। सबसे प्रभावी उपचार आयरन के सप्लीमेंट्स हैं। कई लोगों में इसे लेने से पेट में जलन होती है, जिसके लिए इसे भोजन के बाद लेने की सलाह दी जाती है।