नयी दिल्ली, स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आजादी का सूत्र बना खादी अब नए दौर में फैशन की एक नई पहचान बनता जा रहा है। विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करने की महात्मा गांधी की घोषणा के बाद स्वदेशी आंदोलन के दौरान खादी घर-घर पहुंचा। आरामदेह होने के कारण अब यह अपने अलग अंदाज में युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय होता जा रहा है।
लक्षिता फैशन के प्रबंध निदेशक सचिन खरबंदा ने कहा कि खादी अब एक ट्रेंड है और यह एक फायदे का सौदा भी बन गया है। सचिन के अनुसार ‘‘ऑर्गेनिक फैशन मूवमेंट’’ से खादी को काफी लोकप्रियता मिली और अब यह जोर्जेट, शिफॉन और नेट के कपड़े का एक अच्छा विकल्प बनता जा रहा है।
वहीं, कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रोफेसर पत्राली घोष ने कहा कि खादी फैशन से परे है। उन्होंने कहा ‘‘मुझे खादी के कुर्ते और साड़ी पहनना काफी पसंद है। खादी बेहद अरामदेह भी होता है और निश्चित रूप से इसके साथ हमारा इतिहास भी जुड़ा है।’’