बेंगलुरु, भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम मंगलवार को सैफ चैंपियनशिप 2023 के फाइनल में कुवैत को हराकर लगातार दूसरी बार और कुल नौंवी बार दक्षिण एशिया का शीर्ष फुटबॉल खिताब जीतना चाहेगी।
सैफ चैंपियनशिप का फाइनल 13 बार लड़ा गया है, जिसमें भारत ने आठ मौकों पर खिताब जीता। श्री कांतीरवा स्टेडियम पर मंगलवार रात 07:30 बजे भारत अपना नौंवा सैफ चैंपियनशिप फाइनल खेलकर इस टूर्नामेंट के सबसे प्रतिस्पर्धी और रोमांचक संस्करण का अंत करेगा।
भारत ने शनिवार को हुए सेमीफाइनल में पेनल्टी शूटआउट में लेबनान को 4-2 से हराया। दूसरी ओर, मेहमान पक्ष कुवैत ने बंगलादेश को 1-0 से हराकर फाइनल में कदम रखा। भारत और कुवैत लीग चरण में भी आमने-सामने आये थे जहां दोनों टीमों ने 1-1 से ड्रॉ खेला था। मुख्य कोच इगोर स्टिमाच को उस मुकाबले के अंतिम चरण में लाल कार्ड दिखाकर बाहर भेज दिया गया और बाद में उन पर दो मैचों का प्रतिबंध भी लगा दिया गया। इसका अर्थ है कि खिताबी मुकाबले में सहायक कोच महेश गवली साइडलाइन से भारत का नेतृत्व करेंगे।
गवली ने मैच की पूर्व संध्या पर संवाददाताओं से कहा, “पिछली बार कुवैत के खिलाफ और लेबनान के खिलाफ भी मामला तनावपूर्ण था। हमने लड़कों से शांत रहने और अपना पूरा ध्यान फाइनल जीतने पर केंद्रित करने के लिये कहा है। यह मैच पूरी तरह से अलग होगा। आशा करता हूं कि हम अब तक जैसा प्रदर्शन कर रहे हैं, वैसा ही आगे भी करेंगे।”
गवली ने एक खिलाड़ी के रूप में 2005 और 2011 में दो बार सैफ चैंपियनशिप ट्रॉफी जीती, लेकिन इस संस्करण की प्रतिस्पर्धा को देखते हुए बतौर कोच चैंपियनशिप जीतना उनके लिये एक उल्लेखनीय उपलब्धि होगी।
गवली ने कहा, “यह (जीतना) अधिक कठिन होने वाला है। कुवैत एक अच्छा प्रतिद्वंद्वी है, और प्रतिस्पर्धा कठिन रही है। उस समय हम केवल सैफ टीमों के खिलाफ खेलते थे। साल 2005 में कराची में जीतना बहुत सुखद था, लेकिन अगर हम कल जीतते हैं तो खुशी एक अलग स्तर की होगी।”
निलंबन के कारण सेमीफाइनल से बाहर रहे डिफेंडर संदेश झिंगन खिताबी मुकाबले के लिये मैदान पर उतरने और अपना पहला सैफ खिताब जीतने के लिये बेताब हैं।
कुवैत के विरुद्ध मुकाबले में लाल कार्ड देखने वाले झिंगन ने कहा, “मुझे मैदान से दूर रहने का अफसोस हुआ। आप बड़े मैच से चूकना नहीं चाहते, लेकिन फुटबॉल कभी-कभी ऐसा ही होता है। मुझे लगता है कि टीम ने वास्तव में अच्छा प्रदर्शन किया। वहां बैठकर खेल देखने पर मुझे नहीं लगा कि उन्हें मेरी ज्यादा कमी महसूस हुई। मेहताब, अनवर और पूरी बैकलाइन ने अच्छा प्रदर्शन किया।”
उन्होंने कहा, “ईमानदारी से कहूं तो, मुझे पूरा विश्वास था कि हम जीत जाएंगे। मैं फाइनल की तैयारी कर रहा था। अब, पूरा ध्यान कुवैत पर है। हमारे पिछले 8-10 मैचों में वह सबसे कठिन टीम रही है। यह मुकाबला कठिन होने वाला है, और हम इसका इंतजार कर रहे हैं।”
भारत के लिये कुवैत की चुनौती आसान नहीं होगी। पश्चिमी एशिया की इस टीम ने अपने पिछले आठ मैचों से हार का मूंह नहीं देखा है। अब्दुल्ला अल-बलूशी पिछले दो मैचों में कुवैत के लिये मैच-जिताऊ प्रदर्शन करते आये हैं। खिताबी द्वंद में यह खिलाड़ी भारत पर भारी पड़ सकता है, हालांकि कुवैत के मुख्य कोच रुई बेंतो फाइनल की चुनौतियों से अच्छी तरह अवगत हैं।
बेंतो ने कहा, “हमने भारत के खिलाफ एक कठिन मैच खेला, लेकिन बीते वर्षों में मेरे अनुभव रहा है कि फाइनल एक अलग मैच होता है। हम ट्रॉफी के लिये लड़ेंगे। खिलाड़ियों के लिये ध्यान केंद्रित रखना और अच्छा खेलने की कोशिश करना बहुत महत्वपूर्ण है। हमने फाइनल में पहुंचने के लिये कड़ी मेहनत की है और उन्हें मेरा संदेश होगा कि वे खेल का आनंद लें।”