मुंबई, क्यू खेलों के विभिन्न प्रारूपों में कुल 16 विश्व खिताब जीतने वाले पंकज आडवाणी ने हैरानी जताते हुए पूछा कि क्या वास्तव में भारतीय खेलों में उत्कृष्टता के सिंद्वांत को समझते हैं। आडवाणी ने कहा, ‘मैं भारत में खेलों की धारणा को नहीं समझता। हम केवल ओलंपिक में प्रदर्शन की बात करते हैं लेकिन हमें निरंतरता और उन लोगों के बारे में भी बात करनी चाहिए जो लगातार देश का नाम रोशन कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘वह खेलों के बारे में चार साल में केवल एक बार बात करते हैं जब ओलंपिक होता है।
बाकी साढ़े तीन साल क्या होता है। लोग सब कुछ भूल जाते हैं और चीजें फिर से सामान्य हो जाती हे।’ आडवाणी ने कहा, ‘बेशक क्रिकेट की चर्चा होती रहती है। यह देश का नंबर एक खेल है और मुझे इससे शिकायत नहीं है। असल में अन्य महासंघों को बीसीसीआई से सीख लेनी चाहिए कि खेल का संचालन कैसे किया जाता है लेकिन भारत में खेलों को लेकर हमारी जो सोच है वह मेरी समझ से परे है।’ उन्होंने कहा, ‘यदि एक खिलाड़ी लगातार जूझ रहा होता होता है और पदक जीतने में नाकाम रहता है और आखिर में वह चार साल में एक बार पदक जीत लेता है तो उसे उन खिलाड़ियों से उपर रख दिया जाता है जो विश्व चैंपियनशिपों में लगातार जीत रहा होता है।
इसमें बदलाव की जरूरत है।’ आडवाणी ने कहा, ‘यदि हम खेल उत्कृष्टता का आकलन चार साल में एक बार क्या हो रहा है, इस आधार पर करेंगे तो हमें आत्ममंथन करने की जरूरत है। खेल केवल ओलंपिक तक सीमित नहीं हैं। यदि ऐसा है तो फिर हमें ओलंपिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में ही भाग लेना चाहिए अन्य प्रतियोगिताओं में नहीं। हमें लगातार विश्व स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी चाहिए।’