अजमेर, राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 807 वां उर्स रजब माह की नौ तारीख को आज नवीं के कुल ;बड़ा कुलद्धकी रस्म के साथ ही विधिवत समापन हो गया। सुबह आठ बजे से बड़े कुल की रस्म खुद्दाम.ए.ख्वाजा ;खादिमद्ध व आम जायरीनों ने मिलकर अदा की।
दरगाह स्थित आस्ताने शरीफ के साथ बाहरी दीवारों एवं दरगाह परिसर को गुलाबजलए केवड़ा जल एवं सामान्य पानी से धोने की रस्म अदायगी की गई जबकि अंजुमन से जुड़े खादिमों ने आस्तानाए बेगमीदलान व पायंती दरवाजे तक संपूर्ण दरगाह परिसर को धोया। धार्मिक मान्यता के चलते गुलाबजलए केवड़ा चंदन से मिश्रित इस जल को अकीदतमंदों ने बोतलों में भरकर घर ले जाने की परंपरा का भी निर्वहन किया।
इसके साथ ही ख्वाजा साहब के 807वें सालाना उर्स में भाग लेने आए जायरीनों का लौटने का सिलसिला बहुत तेजी से शुरू हो गया। अंजुमन सैयद जादगान व अंजुमन सैयद शेखजादगान की ओर से आस्ताने शरीफ में शांतिपूर्वक उर्स संपन्न होने पर गरीब नवाज का शुक्रिया अदा किया गया। साथ ही बाहर से आए जायरीनों के सकुशल घर लौटने की दुआ के साथ साथ मुल्क में अमनए चैनए खुशहालीए भाईचारा एवं कौमी एकता की दुआ की गई।
अजमेर जिला एवं पुलिस प्रशासन की ओर से भी सायं चार बजे उर्स संपन्न होने की खुशी में चादर पेश की जाएगी। इसके अलावा अंजुमनों एवं दरगाह कमेटी की ओर से अधिकारियों का महफिलखाने में इस्तकबाल एवं दस्तारबंदी की जाएगी। उर्स के समापन के बावजूद अजमेर दरगाह क्षेत्र जायरीनों से आबाद है जबकि कायड़ विश्राम स्थली से जायरीनों की तेजी से रवानगी होने लगी है।