लखनऊ, मेरठ से प्रयागराज तक 594 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे को अत्याधुनिक नवीनतम तकनीक से लैस करने के लिये उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से एक ईटीएच यानी स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, ज्यूरिख तथा आरटीडीटी लेबोरेटरीज एजी (ईटीएच की स्पिन-ऑफ कंपनी) के बीच दो एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं।
कृषि उत्पादन आयुक्त, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त और यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने सोमवार को बताया कि पिछली आठ जून को प्रदेश सरकार एवं ईटीएच ज्यूरिख के बीच यह समझौता हुआ है। इन समझौतों के तहत किया जाने वाला काम आगामी गंगा एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता तथा मार्गों को बेहतर बनाने व अन्य सुविधाओं के आकलन में गेम चेंजर साबित होगा।
विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से एक ईटीएच ज्यूरिख एक्सप्रेसवेज की गुणवत्ता की पहचान कर सुधारात्मक कार्रवाई करने में यूपीडा का सहयोग करेगा।
उन्होंने कहा कि, “इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के उपरांत हम इस तकनीक को उत्तर प्रदेश के सभी एक्सप्रेसवेज पर लागू करने की योजना बना रहे हैं, जिससे इन एक्सप्रेसवेज का उपयोग करने वाले लाखों उपभोक्ताओं को लाभ होगा।”
ईटीएच ज्यूरिख के स्ट्रक्चरल मैकेनिक्स की अध्यक्ष, प्रोफेसर डॉ. एलेनी चैट्ज़ी ने कहा कि, “हमें उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के साथ सहभागिता करके ख़ुशी हो रही है। हम हमेशा नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके गुणवत्तापूर्ण वितरण पर जोर देते हैं और हमें यह जानकर खुशी हो रही है कि उत्तर प्रदेश अपने एक्सप्रेसवे में इस तकनीक को लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। हम यह आशा करते हैं कि इस सहयोग से समग्र उद्देश्यों को संतोषजनक ढंग से पूरा किया जा सकेगा।”
इसी साल जनवरी में दावोस, स्वीट्जरलैंड में आयोजित विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में उत्तर प्रदेश ने हिस्सा लिया था। इस अवसर पर श्री सिंह ने ईटीएच ज्यूरिख और आरटीडीटी के प्रतिनिधियों के साथ नवीनतम तकनीकों का अवलोकन किया, जिन्हें उत्तर प्रदेश के एक्सप्रेसवे में लागू किया जा सकता है।