गंगा दशहरा के पर्व पर संगम में उमड़ा आस्था का सैलाब

प्रयागराज, संगम नगरी प्रयागराज में पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के संगम में भोर से ही लाखों श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने जुटने लगे और देखते ही देखते घाटों पर आस्था का समंदर उमड़ पड़ा।
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाने वाला गंगा दशहरा विशेष महत्व रखता है। इस दिन पवित्र सरोवर में स्नान किया जाता है। प्रयागराज में श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाने के साथ ‘हर-हर गंगे’ और ‘जय गंगे मैया’ के जयघोष किया। महिला श्रद्धालुओं ने मां गंगा को दुग्ध अर्पितकर सूर्य देव को अर्ध्य देकर परिवार की कुशलता की कामना की।
प्रयाग धर्म संघ के अध्यक्ष एवं तीर्थ पुरोहित राजेंद्र पालीवाल ने बताया कि महाकुंभ 2025 के ऐतिहासिक आयोजन के बाद पहली बार प्रयागराज के संगम तट पर वैसी ही विशाल भीड़ देखने को मिली है। गंगा दशहरा पर इस अभूतपूर्व जनसैलाब ने यह स्पष्ट कर दिया कि प्रयागराज की धार्मिक चेतना और आस्था की गहराई कभी कम नहीं होती। यह आयोजन न केवल पुण्य अर्जन का अवसर बना बल्कि महाकुंभ जैसी भीड़ और श्रद्धा का सजीव उदाहरण भी बन गया। श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद लेटे हनुमान मंदिर में पहुंचकर बजरंगबली के दर्शन किए। मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतार देखी गई।
उन्होंने बताया कि श्रद्धालु बुधवार की रात से ही संगम पहुंचने लगे थे। भोर से ही लाखों श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने संगम क्षेत्र में जुटने लगे और देखते ही देखते घाटों पर आस्था का समुंदर उमड़ पड़ा। गंगा दशहरा के पावन पर्व पर स्नानानघाट दशाश्वमेध, बलुआ घाट, सरस्वती, अरैल सहित अनेकों घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भर गए। आज दिनभर घाटों पर रौनक बनी रहेगी।
तीर्थपुरोहित ने बताया कि गंगा दशहरा का पर्व गंगा के धरती पर अवतरण का प्रतीक है। भक्त इस दिन गंगा स्नान, दान और पूजा करके अपने पापों से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं। गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की कृपा के लिए मिट्टी के मटके में जल भरकर दान करने के साथ सफेद वस्त्र, नींबू पानी, ठंडाई और मौसमी फलों का दान करने से भी लाभ मिलता है। गंगा दशहरा के दिन इन चीजों के दान से साधक को महादेव की कृपा की भी प्राप्ति होती है।
गंगा दशहरे पर स्नान से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान से दैहिक, वाचिक और मानसिक दोषों का नाश होता है। संगम नगरी में गंगा दशहरा पर श्रद्धालु न/न केवल स्नान के लिए पहुंचे बल्कि पूजन, हवन और दान-पुण्य में भी शामिल हुए। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान को पुण्यदायी माना जाता है। ‘हर हर गंगे’ और ‘जय गंगे मैया’ के नारों से गूंजते घाटों पर वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक और भक्तिमय बन गया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में संगम पर महाकुंभ-2025 में ऐसी व्यवस्था की गयी थी कि दुनिया के कोने कोने से लगभग 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। दुनिया में भीड़ नियंत्रण और स्वच्छता को लेकर वाहवाही हुई। उसके बाद किसी भी आयोजन पर संगम तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ में इजाफा होना ही है। प्रशासन को भीड़ देखते हुए अस्थाई छांव, प्याऊ, शौचालय की व्यवस्था करनी चाहिए। दूरदराज से आने आने वाले श्रद्धालु खुले आसमान के नीचे चिलचिलाती धूप में पूजा-पाठ करते हैं।
जल पुलिस प्रभारी जनार्दन प्रसाद साहनी ने बताया कि भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। घाटों की सफाई, श्रद्धालुओं के लिए चेंजिंग रूम की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने बताया कि डेढ़ कंपनी पीएसी, एसडीआरएफ की 32 और 37 प्राइवेट गोताखोर, जल पुलिस के एक इंस्पेक्टर, दो सब इंस्पेक्टर, दो दीवान तैनात हैं। गोताखोर लगातार स्नान घाटों पर चक्रमण कर रहे हैं।