अहमदनगर, पूरा देश आज जहां गणतंत्र दिवस मना रहा था वहीं महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में अपने मूल अधिकारों के लिये लड़ती महिलाओं के साथ ही भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिवस रहा। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में शनि शिंगणापुर मंदिर स्थित पवित्र चबूतरे में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की 400 वर्ष पुरानी परंपरा तोड़ने का प्रयास करने वाली 350 महिलाअों को पुलिस ने रोक लिया।
महिलाअों शनि शिंगणापुर मंदिर स्थित पवित्र चबूतरे में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की 400 वर्ष पुरानी परंपरा तोड़ने के प्रयास को पुलिस ने तब विफल कर दिया जब उन्हें मंदिर से 70 किलोमीटर दूर एक गांव में रोक लिया गया। भूमाता ब्रिगेड के बैनर तले महिला कार्यकर्ताओं की बसें जैसे ही सूपा गांव पहुंचीं उसकी अध्यक्ष तृप्ति देसाई के नेतृत्व वाली कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में मौजूद पुलिसकर्मियों ने आगे नहीं बढ़ने दिया। पुलिसकर्मियों ने महिला कार्यकर्ताओं के मंदिर की ओर मार्च को विफल करने के लिए घेरा बना लिया। देसाई को हिरासत में ले लिया गया और सूपा पुलिस थाने ले जाया गया। तनावपूर्ण माहौल में महिलाअों ने पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ जोरदार विरोध किया और नारेबाजी की और सड़क पर लेट गईं।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पंकज देशमुख ने, ‘पुलिस ने सूपा में करीब 350 महिला कार्यकर्ताओं को रोका है और उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।’ देसाई ने गतिरोध के बीच संवाददाताओं से कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई निंदनीय है और यह ‘गणतंत्र दिवस के दिन महिलाओं के साथ ही भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिवस’ है। नाराज देसाई ने जानना चाहा कि महिलाओं से भेदभाव क्यों हो रहा है।देसाई ने कहा, ‘ये महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है। हम मुख्यमंत्री से पूछना चाहते हैं कि हमें क्यों रोका गया है, हम आगे बढ़ेंगे।’ देसाई ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। उन्होंने दावा किया कि उनकी कुछ कार्यकर्ता पहले ही शनि शिंगणापुर मंदिर पहुंच चुकी हैं। उन्होंने युवा मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे हस्तक्षेप करें और महिलाओं की आवाज और सशक्तिकरण को दबाने के प्रयासों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि वे मौके पर ही एक सत्याग्रह शुरू कर रही हैं और वे तब तक पानी भी नहीं ग्रहण नहीं करेंगी जब तक कि उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया जाता। यद्यपि पुलिस ने हिरासत में ली गई देसाई और 300 कार्यकर्ताओं को बाद में रिहा कर दिया। मंदिर भगवान शनि को समर्पित है और मंदिर की परंपरा के अनुसार महिला श्रद्धालुओं को पवित्र चबूतरे पर जाने की इजाजत नहीं है।