सहारनपुर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना पट्टी माने जाने वाले क्षेत्र में करीब 71 सीटें ऐसी हैं जिन पर जाटों का सीधा असर पड़ता है। जो नतीजे सामने आए हैं उनमें 71 में से 31 सीटों पर गठबंधन चुनाव जीत गया जबकि पिछले चुनाव में यहां भाजपा को एकतरफा जीत हासिल हुई थी।
भाजपा ने जाटों को ध्यान में रखते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश का पार्टी अध्यक्ष शामली जिले के मोहित बेनीवाल को बनाया हुआ है। मुजफ्फरनगर के सांसद डा. संजीव बालियान केंद्र में राज्य मंत्री के पद पर हैं तो प्रदेश सरकार में चौधरी भूपेंद्र सिंह मंत्री हैं। भाजपा ने जिला पंचायत चुनाव में पश्चिम की इस गन्ना पट्टी में नौ जाटों को इस उम्मीद में जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया था कि उनके चलते किसान आंदोलन और भारतीय किसान यूनियन के कारण भाजपा जाट क्षेत्रों में नुकसान नहीं होगा। यह अलग बात है कि स्थिति की नाजुकता को भांपते हुए खुद अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और स्वयं प्रधानमंत्री को जनता के बीच उतरना पड़ा। उससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को अनुमान से कम नुकसान हुआ।
बागपत के सांसद डा. सत्यपाल सिंह का अपनी जाट बिरादरी पर जरूरत असर कायम रहा। उनके संसदीय क्षेत्र बागपत में पांच में से तीन सीटें मोदी नगर की मौजूदा विधायक डा. मंजू सिवाच, बागपत से मौजूदा विधायक योगेंद्र धामा और बड़ौत से केपी मलिक फिर से चुनाव जीत गए। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान डा. सत्यपाल सिंह ने इन्हीं तीनों क्षेत्रों में बढ़त हासिल की थी और जिन दो सीटों छपरौली और सिवाल खास में वह पीछे रहे थे वहीं पर इस बार भी भाजपा उम्मीदवारों की हार हुई है। सिवाल खास में भाजपा के जाट उम्मीदवार मनिन्दर पाल सिंह को सपा रालोद उम्मीदवार गुलाम मोहम्मद के हाथों पराजय झेलनी पड़ी। जबकि छपरौली सीट पर भाजपा के सहेन्द्र सिंह रमाला को रालोद के अजय कुमार के हाथों पटखनी मिली।
जाट बहुल मुजफ्फरनगर जिले में भाजपा ने छह में से चार सीटें जीती हैं। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान अपने संसदीय क्षेत्र की तीन सीटों पुरकाजी, चरथावल और बुढ़ाना को नहीं बचा पाए। बुढ़ाना में तो भाजपा उम्मीदवार उमेश मलिक की पराजय हुई। हार वाली इन तीनों सीटों को संजीव बालियान ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बनाया हुआ था।
बिजनौर जिले में नजीबाद सीट पर पूर्व सांसद भाजपा के पूर्व सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह की सपा उम्मीदवार तसलीम अहमद के सामने पराजय हुई। ध्यान रहे कुंवर भारतेंद्र सिंह 2019 का लोक सभा चुनाव भी हार गए थे। ध्यान रहे संजीव बालियान लोकसभा चुनाव-2019 में चौधरी अजीत सिंह को पराजित कर जाटों में अपनी नई पहचान बनाई थी जो इस विधानसभा चुनाव में जाटों ने ही मिट्टी में मिला दी है। भाजपा मुजफ्फरनगर और खतौली सीट जरूर जीतने में सफल हुई। मुजफ्फरनगर शहर से पुनः निर्वाचित कपिल अग्रवाल का संजीव बालियान द्वारा लगातार विरोध किया जाता रहा लेकिन कपिल अग्रवाल चुनाव जीतने में सफल रहे। पश्चिमी भाजपा के अध्यक्ष शामली के मोहित बेनीवाल का नेतृत्व भी कसौटी पर था। वह अपने गृह जनपद में तीनों में से एक भी सीट भाजपा की झोली में नहीं डलवा पाए।
बहुचर्चित कैराना सीट पर भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह की पराजय पूरे भाजपा नेतृत्व के लिए शर्मिन्दगी भरी रही। योगी आदित्यनाथ और अमित शाह दोनों ने कैराना सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा हुआ था। विजयी सपा उम्मीदवार नाईद हसन को जेल में डालने का भी भाजपा को लाभ नहीं मिला। जाटों की नाराजगी के कारण थानाभवन सीट पर गन्ना मंत्री सुरेश राणा को पराजय झेलनी पड़ी। रालोद उम्मीदवार अशरफ अली के पक्ष में जाटों ने जमकर मतदान किया। भाजपा का कोई भी जाट नेता सुरेश राणा को जीत की हैट्रिक लगवाने में सफल नहीं हो पाया।
शामली सीट पर तो भाजपा का उम्मीदवार मौजूदा विधायक तेजेंद्र सिंह निरवाल जाट बिरादरी से ही थे। जिनकी रालोद के जाट उम्मीदवार प्रसन्न चौधरी के सामने शर्मनाक हार हुई। ध्यान रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और उनके भाई नरेश टिकैत की अगुवाई में किसानों के जाट बिरादरी के तबके ने भाजपा को हराने के लिए एडी से चोटी का जोर लगाया। उस नुकसान को रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 26 जनवरी को नई दिल्ली में सांसद चौधरी प्रवेश वर्मा के आवास पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सौ प्रमुख जाट नेताओं की बैठक की थी। अमित शाह ने जाटों से भावात्मक अपील की थी कि लोकसभा चुनाव 2014, 2019 और विधान सभा चुनाव 2017 में जाटों के समर्थन से भाजपा को शानदार जीत हासिल हुई थी। विधान सभा चुनावों में भाजपा ने पश्चिमी की 143 में से 108 सीटें जीती थी और
2019 के लोक सभा चुनावों में भाजपा ने 29 में से 21 लोक सभा सीटों पर जीत हासिल की थी।