गरीबों के लिए कानूनी सहायता लेना, हुआ आसान

supreme_court_scbaनयी दिल्ली, मध्‍यम और गरीब आय वर्ग के लोगों के लिए देश की कानूनी सहायता लेना आसान हो गया है। उच्‍चतम न्‍यायालय ने मध्‍यम आय समूह योजना लागू की है। यह आत्‍म समर्थन देने वाली योजना है और इसके तहत 60,000 रुपये प्रति माह और 7,50,000 रुपये से कम वार्षिक आय वाले लोगों के लिए कानूनी सहायता दी जाएगी।
सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के अन्‍तर्गत सोसायटी के प्रबंधन का दायित्‍व शासकीय मंडल के  सदस्‍यों को दिया गया है। मुख्य न्‍यायाधीश शासकीय मंडल के संरक्षक होगे। एटर्नी जनरल पदेन उपाध्‍यक्ष,  सोलिसिटर जनरल मानद सदस्‍य और उच्‍चतम न्‍यायालय के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता सदस्‍य होंगे। उच्‍चतम न्‍यायालय के नियमों के अनुसार न्‍यायालय के समक्ष याचिका केवल एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ;एओआरद्ध के जरिये दाखिल की जा सकती है।
सेवा शुल्‍क के रूप में उच्‍चतम न्‍यायालय मध्‍य आय समूह कानूनी सहायता सोसाइटी को 500 रुपये का भुगतान करना होगा। आवेदक को सचिव द्वारा बताई गई फीस जमा करानी होगी। यह योजना में संलग्‍न अनुसूची के आधार पर होगी। एमआईजी कानूनी सहायता के अंतर्गत सचिव याचिका दर्ज करेंगे और इसे पैनल में शामिल एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अधिवक्ता, ध्वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता को भेजेंगे। यदि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड इस बात से संतुष्‍ट हैं कि यह याचिका आगे की सुनवाई के लिए उचित है, तो सोसाइटी आवेदक के कानूनी सहायता अधिकार पर विचार करेगी। जहां तक योजना का लाभ प्राप्‍त करने के लिए आवेदक की पात्रता का प्रश्‍न है तो याचिका के बारे में एओआर की राय अंतिम राय मानी जाएगी।

योजना के अंतर्गत मध्‍यम वर्ग के वैसे लोग जो उच्‍चतम न्‍यायालय में मुकदमों का खर्च नहीं उठा सकते,  वे कम राशि देकर सोसाइटी की सेवा ले सकते हैं। इस योजना का लाभ लेने के इच्‍छुक व्‍यक्ति को निर्धारित फाॅर्म भरना होगा और इसमें शामिल सभी शर्तों को स्‍वीकार करना होगा।
इस योजना से संबंधित विभिन्‍न खर्चों को पूरा करने के लिए आकस्मिक निधि बनाई जाएगी। याचिका की स्‍वीकृति के स्‍तर तक आवेदक को इस आकस्मिक निधि‍ में 750 रुपये जमा कराने होंगे। यह सोसाइटी में जमा किये गये शुल्‍क के अतिरिक्‍त होगा। यदि एओआर यह समझता है कि याचिका आगे अपील की सुनवाई योग्‍य नहीं हैए तो समिति द्वारा लिये गये न्‍यूनतम सेवा शुल्‍क 750 रुपये को घटाकर पूरी राशि चेक से आवेदक को लौटा दी जाएगी।
यदि योजना के अन्‍तर्गत नियुक्‍त अधिवक्‍ता सौंपे गये मामले में लापरवाह माने जाते हैं तो उन्‍हें आवेदक से प्राप्‍त फीस के साथ केस को वापस करना होगा। इस लापरवाही की जिम्‍मेदारी सोसाइटी पर नहीं होगी और मुवक्कील से जुड़े अधिवक्‍ता की पूरी जिम्‍मेदारी होगी। अधिवक्‍ता का नाम पैनल से समाप्‍त कर दिया जाएगा। समाज के कम आय वर्ग के लोगों के लिए याचिका दाखिल करने के काम को सहज बनाने के लिए उच्‍चतम न्‍यायालय ने यह योजना लागू की है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button