वॉशिंगटन, अमरीका में अबॉर्शन यानी गर्भपात को कानूनी दर्जा दिलानेवाली नॉर्मा मैककॉर्वे का निधन हो गया है।वो 69 साल की थीं। रो बनाम बेड केस में उन्होंने छद्म नाम से मुकद्दमा लड़ा था जिसका अंत 1973 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक और विवादास्पद फैसले के रूप में हुआ था। बाद में धर्मोन्मुख होने पर मैककॉर्वे ने कहा था कि गर्भपात को कानूनी बनाने के फैसले का हिस्सा होना उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल थी। उन्होंने रो बनाम वेड वाद में दिए गए फैसले को पलटने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील भी दायर की थी जिसमें वो सफल नहीं पाई थीं। उनकी मृत्यु की खबर अमरीकी मीडिया को उस पत्रकार ने दी जो उस चर्चित केस पर एक किताब लिख रहे हैं।
1973 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला 25 साल की मैककॉर्वे की अपील पर आया था। जेन रो छद्म नाम से मैककॉर्वे ने टेक्सस के उस अबॉर्शन कानून को बताते हुए चुनौती दी थी जिसमें गर्भपात को असंवैधानिक बताया गया था। उस कानून में मां का जीवन खतरे में होने पर ही गर्भपात की अनुमति दी गई थी। हेनरी वेड टेक्सस के अटॉर्नी जनरल थे जिन्होंने गर्भपात विरोधी कानून का बचाव किया था। मैककॉर्वे ने पहले 1969 में मुकदमा दायर किया था जब वो तीसरी बार गर्भवती हुई थीं। उनका कहना था कि उनका बलात्कार हुआ था, इसलिए उन्हें गर्भपात की इजाजत दी जाए।लेकिन मामला खारिज कर दिया गया और उन्हें बच्चे को जन्म देना पड़ा। लेकिन 1973 में उनकी अपील अमरीकी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची जहां 2 के मुकाबले 7 मतों से जजों ने फैसला सुनाया कि सरकार के पास गर्भपात को रोकने की शक्ति नहीं है। अदालत का फैसला इस तर्क पर आधारित था कि गर्भपात का फैसला एक महिला के व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आता है जिसे संविधान का संरक्षण प्राप्त है।