नयी दिल्ली , एक ताजा सर्वेक्षण के अनुसार अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए प्रति वर्ष गर्भपात कराने वाली डेढ़ करोड़ महिलाओं में से करीब 13 प्रतिशत यानी 20 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है।
महिलाओं के हित और परिवार नियोजन के क्षेत्र में काम करने वाले प्रमुख गैर सरकारी संगठन श्पाॅपुलेशन फांउडेशन ऑफ इंडियाश्की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्रेजा रिपीट मुत्रेजा ने यूनीवार्ता के साथ विशेष बातचीत में आज कहा कि यह जानकारी इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट श्दि गुटमाकरश् और श्इंडियन इंस्टीट्यूट अॉफ पापुलेशन साइंसेजश् ने सरकार को सौंपी एक रिपोर्ट में दी है। गर्भ नियोजन के साधनों की कमी और अज्ञानता इन मौतों की मुख्य वजह है। इस तरह की मौतों को रोकने के लिए देश भर में बड़े पैमाने पर काम करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पहले सरकारी आकड़ों में हर वर्ष मात्र छह लाख महिलाओं का गर्भपात दर्ज होता था जबकि गैर सरकारी संगठनाें का आंकड़ा एक करोड़ था। लेकिन अब सरकार और अन्य संगठनों के आंकड़े समान हैं। नये आंकड़े शीघ्र आने वाले हैं। इनके अनुसार हर साल डेढ़ करोड़ महिलाएं गर्भपात करवाती हैंए जिनमें से 13 प्रतिशतए यानी लगभग 20 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है।
इस आंकड़े में चोरी छिपे कराये जाने वाले अवैध गर्भपात के मामले भी शामिल हैं। परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता और साधनों की कमी अमेरिका जैसे विकसित देश से लेकर आफ्रीकी देशों तक चिंतनीय स्थिति में है। सजगता . साधनों से प्रतिवर्ष 50 प्रतिशत से अधिक ऐसी मौतों को कम किया जा सकता है। प्रसव के दौरान विश्व भर में प्रतिवर्ष तीन लाख 30 हजार महिलाओं की माैत होती है जिनमें 15 प्रतिशत भारतीय महिलाएं शामिल हैं।