बोस्टन, दुनिया भर के मौसम में आ रही तब्दीलियों की वजह से हवा अब पहले से अधिक गर्म हो रही है और इसका असर भारत की हवा से ऊर्जा उत्पादन क्षमता पर पड़ रहा है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। पॉल्सन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एडं एप्लायड साइंस (एसईएएस) के शोधकर्ताओं ने बताया कि चीन और अमेरिका के बाद भारत, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में तीसरे पायदान पर है । विंड पावर पर भारत अरबों की राशि खर्च रहा है और उसने अगले पांच साल में इसकी क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
ज्यादातर पवन चक्कियां भारत के दक्षिणी और पश्चिमी इलाकों में बनायी जाती हैं। भारत के दक्षिणी और पश्चिमी इलाकों में ग्रीष्मकालीन भारतीय मानसून की हवा से ऊर्जा उत्पादन बेहतर होता है। मौसम की व्यवस्था के तहत तब उप महाद्वीप में बारिश होती है और हवा भी चलती है। यह अध्ययन, साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुया है।
इसमें यह भी कहा गया है कि हिंद महासागर के गर्म होने से मानसून में कमजोरी आ रही है। इसकी वजह से हवा से बिजली बनाने के काम प्रभावित हो रहा है। इस शोध में बीते चार दशकों की प्रवृत्तियों का अध्ययन किया गया है। बीते 40 सालों में ऊर्जा क्षमता में 13 प्रतिशत की गिरावट आई है। महाराष्ट्र और राजस्थान सहित पश्चिम भारत में इस क्षेत्र में अधिक निवेश किया जा रहा है।