वाशिंगटन, वैज्ञानिक एक ऐसी प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे हैं, जिसकी मदद से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भविष्य में ऊष्मा को बिजली में बदल सकेंगे। इसकी मदद से गाड़ियों से निकलने वाली व्यर्थ ऊष्मा से भी बिजली बनाई जा सकेगी।
वैज्ञानिकों ने कहा कि कार ईंजन जैसे बहुत से विद्युत और मशीनी उपकरण सामान्य प्रक्रिया के तहत गर्मी को एक अतिरिक्त उत्पाद के रूप में पैदा करते हैं। इसे व्यर्थ ऊष्मा कहा जाता है। ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में पोस्ट डॉक्टरल अनुसंधानकर्ता स्टीफन बूना ने कहा, जितनी ऊर्जा का हम इस्तेमाल करते हैं, उसमें से आधी से अधिक ऊर्जा बर्बाद हो जाती है और पयार्वरण में गर्मी के रूप में प्रवेश करती है। बूना ने कहा, सॉलिड स्टेट थर्मोइलेक्ट्रिक्स हमें इसमें से कुछ ऊर्जा वापस हासिल करने में मदद कर सकती है। इन उपकरणों में कोई गतिशील हिस्से नहीं होते, लिहाजा ये घिसते नहीं और इनके रखरखाव की कोई जरूरत नहीं है।
अमेरिका की ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने इससे पहले ऊष्मा को बिजली में बदलने के लिए क्वांटम मैकेनिकल इफेक्ट का इस्तेमाल किया था। अब उन्होंने पता लगाया है कि उनकी प्रौद्योगिकी को उद्योग के लिए अधिक उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने वोल्टेज को दस गुना या इससे ज्यादा बढ़ाया। इसके लिए निकिल और प्लैटिनम के यौगिक पर चुंबकत्व का इस्तेमाल किया। अब तक इसे एक पतली फिल्म पर अंजाम दिया जाता रहा है, लेकिन इस बार यह एक मोटे टुकड़े पर अंजाम दिया गया। इसका पदार्थ भावी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के हिस्सों से बहुत हद तक मेल खाता है।